भारत ने रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 3 मई को मध्य प्रदेश के श्योपुर परीक्षण स्थल पर एक स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला सफल परीक्षण किया। इस खास प्लेटफॉर्म को आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट (ADRDE) ने विकसित किया है।
रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि DRDO ने श्योपुर में इस स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया। यह एयरशिप एक विशेष प्रकार का उपकरण (पेलोड) लेकर लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ा और इसने करीब 62 मिनट तक उड़ान भरी। इस दौरान जो भी डेटा मिला है, उसका इस्तेमाल भविष्य में और भी अधिक ऊंचाई पर होने वाले एयरशिप मिशनों के लिए बेहतर सिमुलेशन मॉडल बनाने में किया जाएगा।
उड़ान के दौरान एयरशिप के अंदर दबाव को नियंत्रित करने वाली प्रणाली (एन्क्लोज़र प्रेशर कंट्रोल) और किसी आपात स्थिति में हवा निकालने के सिस्टम (आपातकालीन डिफ्लेशन सिस्टम) की भी जांच की गई। परीक्षण पूरा होने के बाद इस प्रणाली को सुरक्षित रूप से वापस लाया गया।
DRDO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा कि यह हवा से हल्का (लाइटर देन एयर) सिस्टम भारत की पृथ्वी का अवलोकन करने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोही (ISR) क्षमताओं को बहुत बढ़ा देगा। इस सफलता के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक मौजूद है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारत की ISR क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगी और देश को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे ले जाएगी।
रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस सिस्टम के डिजाइन, विकास और परीक्षण में शामिल टीम की सराहना की। उन्होंने इस प्रोटोटाइप उड़ान को हवा से हल्के, उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म के विकास में एक मील का पत्थर बताया, जो स्ट्रैटोस्फेयर में लंबे समय तक टिके रहने में सक्षम है। यह एयरशिप भविष्य में निगरानी, संचार और आपदा प्रबंधन जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत को रणनीतिक लाभ दिला सकती है।