नई दिल्ली। मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश के 100 चुनिंदा जिलों में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए छह साल की ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंज़ूरी दी जिस पर सालाना 24000 करोड़ रुपए खर्ज किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के इस निर्णय के जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, “यह योजना चालू वित्त वर्ष से ही शुरू की जा रही है और यह छह वर्ष तक चलाई जाएगी।” उन्होंने कहा कि इस योजना में उन जिलों को शामिल किया जा रहा जहां कृषि उपज कम है और खेती पिछड़ी है और जो ऋण वितरण के मामले में औसत ने नीचे हैं।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि योजना हर राज्य में कम से कम एक जिले के साथ शुरू की जाएगी और इससे कुल मिलाकर एक करोड़ 70 लाख किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में इस योजना के प्रस्ताव की घोषणा की था। सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित है और अपनी तरह की पहली योजना है जो विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि इस योजना में इस समय 11 मंत्रालयों द्वारा चलायी जा रही 36 योजनाओं को जोड़ा जा रहा है जिन पर प्रति वर्ष 24,000 करोड़ रुपए का परिव्यय होगा। उन्होंने कहा कि बजट के प्रस्तावों के अनुसार इस योजना को राज्य सरकारों के निकट सहयोग से लागू किया जाएगा और इसमें निजी क्षेत्र को भी भागीदार बनाया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर कटाई के बाद भंडारण क्षमता बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार योजना के प्रभावी नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। जिला धन-धान्य समिति द्वारा एक जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके सदस्य प्रगतिशील किसान भी होंगे।
सरकार ने कहा कि ज़िला योजनाएं फसल विविधीकरण, जल एवं मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती के विस्तार जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी। प्रत्येक धन-धान्य ज़िले में योजना की प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर एक डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख निष्पादन संकेतकों के आधार पर की जाएगी। नीति आयोग ज़िला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन भी करेगा। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक ज़िले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे। केंद्र ने कहा है कि योजना के अंतर्गत आने वाले इन जिलों में जैसे-जैसे लक्षित परिणामों में सुधार होगा, देश के लिए प्रमुख निष्पादन संकेतकों के संदर्भ में समग्र औसत में वृद्धि होगी।