भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल के महीनों में अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में डॉलर एसेट्स की हिस्सेदारी घटाकर सोने की हिस्सेदारी बढ़ा दी है। इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आरबीआई लगातार अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा कर रहा है, जबकि अमेरिकी ट्रेजरी सिक्योरिटीज में निवेश घटा रहा है।
गोल्ड रिजर्व 880 टन के पार
आरबीआई के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, बैंक का कुल गोल्ड होल्डिंग 880 टन से अधिक हो गया है। इस वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक आरबीआई ने 600 किलोग्राम सोना अपने भंडार में जोड़ा है। 27 जून को 400 किलोग्राम और 26 सितंबर को 200 किलोग्राम सोना खरीदा गया।
वहीं, अमेरिकी ट्रेजरी सिक्योरिटीज में आरबीआई का निवेश घटकर 219 अरब डॉलर पर आ गया है, जो पिछले सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। एक महीने पहले यह निवेश 227.4 अरब डॉलर और एक साल पहले 238.8 अरब डॉलर था।
विदेशी मुद्रा भंडार का रिकॉर्ड स्तर
10 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह तक भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 698 अरब डॉलर था। इसमें से सोने का मूल्य पहली बार 100 अरब डॉलर के पार जाकर 102.36 अरब डॉलर हो गया है। सितंबर 2024 के अंत तक सोना आरबीआई के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 13.6% हिस्सा बन चुका है, जबकि एक साल पहले यह सिर्फ 9.3% था।
क्यों बढ़ा गोल्ड पर भरोसा
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के अनुसार, “आरबीआई अपने फॉरेक्स रिजर्व को विविध बनाने की नीति अपना रहा है। मौजूदा आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिका की ब्याज दर नीति को देखते हुए सोने में निवेश एक सुरक्षित विकल्प बन गया है।”
वैश्विक रुझान भी यही
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी सोने में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, अगस्त में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने कुल 15 टन सोना अपने रिजर्व में जोड़ा। वर्तमान में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों का अमेरिकी ट्रेजरी बिल्स में कुल निवेश 9.1 ट्रिलियन डॉलर है। इनमें जापान (1.1 ट्रिलियन डॉलर) सबसे आगे है, जबकि ब्रिटेन (899 अरब डॉलर) और चीन (730.7 अरब डॉलर) उसके बाद आते हैं।
आरबीआई का यह कदम साफ संकेत देता है कि भारत अपनी विदेशी मुद्रा नीति में सोने को सुरक्षित आश्रय (Safe Haven) मानते हुए डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।