उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे के लिए किसी ने भी मुख्य पायलट को दोषी नहीं ठहराया है। इसके साथ ही न्यायालय ने मुख्य पायलट के 91 वर्षीय पिता से कहा कि उनके बेटे को इस दुर्घटना के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता और उन्हें इसका बोझ अपने ऊपर नहीं रखना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, "प्रारंभिक रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है।" पीठ ने ज़ोर दिया कि यदि आवश्यक हुआ, तो अदालत स्पष्ट करेगी कि इस "दुर्भाग्यपूर्ण" विमान हादसे के लिए पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। पीठ ने पायलट के पिता पुष्कराज सभरवाल की याचिका पर केंद्र और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को नोटिस जारी किया। पुष्कराज सभरवाल और भारतीय पायलट संघ ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है और एअर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले की जांच अदालत की निगरानी में शीर्ष न्यायालय के किसी पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने का अनुरोध किया है।
पीठ ने पुष्कराज सभरवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, ‘‘"सबसे पहले, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण विमान दुर्घटना थी, और दूसरी बात- आपको अपने बेटे को दोषी ठहराए जाने का बोझ नहीं रखना चाहिए। विमान दुर्घटना के लिए पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह एक दुर्घटना थी।।'' पीठ ने कहा, "देश में कोई भी यह नहीं मानता कि हादसे में पायलट की गलती थी।" वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब अमेरिकी प्रकाशन वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें पायलट की ओर से हुई गलतियों की ओर इशारा किया गया था जिसके कारण विमान दुर्घटना हुई और उसमें अज्ञात सरकारी सूत्रों का हवाला दिया गया था। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘यह केवल भारत को दोषी ठहराने के लिए घटिया रिपोर्टिंग थी।''
पीठ ने विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (एएआईबी) की 12 जुलाई को जारी प्रारंभिक रिपोर्ट का एक पैराग्राफ पढ़ा और कहा कि इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि दुर्घटना के लिए पायलट को दोषी ठहराया जाना चाहिए और इसमें केवल विमान के दो पायलटों के बीच हुई बातचीत का उल्लेख है। उसने कहा, ‘‘एएआईबी जांच का दायरा दोषारोपण करना नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए निवारक उपाय सुझाना है। यदि आवश्यक हुआ तो हम स्पष्ट कर देंगे कि पायलट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।'' अदालत ने इस मामले को घटना से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ 10 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। गौरतलब है कि 12 जून को हुए विमान हादसे में 260 लोगों की जान चली गयी थी।