अक्षय तृतीया और विवाह के शुभ मुहूर्तों के चलते नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाजारों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर सर्राफा बाजारों में सोने और चांदी के आभूषणों की खरीदारी को लेकर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है। व्यापारियों को उम्मीद है कि इस वर्ष सोने के कारोबार में रिकॉर्ड वृद्धि होगी।
सोने की कीमत में बढ़ोतरी के बावजूद ग्राहकों में उत्साह साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। सेक्टर 18 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष और नोएडा ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव सुशील कुमार जैन ने बताया कि अक्षय तृतीया को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय आदि प्रारंभ किए जाते हैं। साथ ही सोना खरीदना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल को मनाई जा रही अक्षय तृतीया पर हजारों शादियां होने जा रही हैं। इसी को देखते हुए सोने के आभूषणों, शादी से जुड़ी खरीदारी जैसे बैंक्वेट हॉल बुकिंग, कपड़े, बैंड आदि की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है।
नोएडा ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन सुधीर सिंघल ने कहा कि सोने की कीमतें भले ही एक लाख रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गई हों, लेकिन ग्राहकों की खरीदारी में कोई कमी नहीं आई है। विशेष रूप से उन परिवारों में जहां विवाह हैं, वहां आभूषणों की बुकिंग में तेज़ी आई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र वर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया से पहले बाजारों में जबरदस्त रौनक है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार लगभग 30 प्रतिशत अधिक बिक्री की संभावना जताई जा रही है। 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के बाद 2022 में नोएडा में 300 करोड़ रुपये का सोने का कारोबार हुआ था, जो 2023 में बढ़कर 360 करोड़ और 2024 में 450 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस वर्ष यह आंकड़ा 650 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
अक्षय तृतीया के दिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 500 से अधिक विवाह समारोह आयोजित होने की संभावना है। सभी बैंक्वेट हॉल पहले से बुक हो चुके हैं। इस शुभ दिन को लेकर कपड़े, गहने और अन्य वैवाहिक सामग्रियों की दुकानों में भीड़ लगी हुई है। अक्षय तृतीया पर वाहन खरीदने को भी शुभ माना जाता है। पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार 2022 में 213 और 2024 में 512 वाहन बिके थे। इस बार भी वाहन बिक्री का आंकड़ा 500 के पार जाने की संभावना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, “अक्षय” का अर्थ होता है – जिसका कभी क्षय न हो। यह दिन सतयुग और त्रेतायुग के प्रारंभ तथा द्वापर युग के अंत का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण इसे ‘युगादि तिथि’ भी कहा जाता है। इस दिन किए गए शुभ कार्यों और दान-पुण्य का फल अक्षय रहता है। (इनपुट-आईएएनएस)