ढाका लंदन में निर्वासन में 17 साल गुजारने के बाद बांग्लादेश लौटे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने अपने पहले भाषण में गुरुवार को कहा कि उनके पास देश के लिए एक योजना है और यह देश सभी धर्मों के लोगों का है। रहमान का यह भाषण मोहम्मद यूनुस के लिए किसी सख्त मैसेज से कम नहीं है, क्योंकि उनके राज में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। रहमान को बांग्लादेश का अगला प्रधानमंत्री के तौर पर भी देखा जा रहा है। फरवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं। रहमान गुरुवार सुबह बांग्लादेश लौटे और उन्होंने यहां आकर ढाका के पूर्बाचल क्षेत्र में एक रैली में हिस्सा लिया। रैली में लाखों की तादाद में बीएनपी समर्थक पहुंचे, जिसकी वजह से उन्हें मुख्य कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने में साढ़े तीन घंटे का समय लगा। जैसे ही रहमान को ले जा रही बस स्टेज पर पहुंची, तो वहां खड़े लोगों ने तारिक जिया के नारे लगाने शुरू कर दिए। रहमान ने स्टेज पर आकर सबसे पहले अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वह अपनी मातृभूमि पर लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लिए मेरे पास एक योजना है।
बांग्लादेश हिंदुओं, मुसलमानों… सबका देश, जैसे ही रहमान ने यह कहा तो वहां मौजूद लाखों समर्थकों की भीड़ तालियां बजाने लगी। स्थानीय मीडिया ने रहमान के हवाले से कहा कि बांग्लादेश मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों, सबका देश है। उनकी पार्टी एक सुरक्षित बांग्लादेश का निर्माण करना चाहती है। ऐसा बांग्लादेश जिसका सपना हर मां देखती है। एक ऐसा बांग्लादेश जहां महिलाएं, पुरुष और बच्चे सुरक्षित रूप से अपने घर से निकल सकें और वापस लौट सकें। उन्होंने कहा कि आज इस मंच पर बीएनपी के साथ-साथ समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता भी उपस्थित हैं। वे पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं, समान विचारधारा वाले दलों और देशवासियों के साथ मिलकर एक बेहतर और शांतिपूर्ण बांग्लादेश का निर्माण करना चाहते हैं। गौरतलब है कि जब रहमान सुबह देश लौटे तो एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट आई। बीएनपी के झंडे और पटके लिए समर्थक एवं कार्यकर्ता सडक़ों पर उतरे और पूरे जोश के साथ रहमान का स्वागत किया। इस मौके पर उनकी पत्नी ज़ुबैदा रहमान और बेटी ज़ायमा रहमान भी उपस्थित रहीं। तारिक रहमान गिरफ्तारी से बचने के लिए 2008 में लंदन भाग गए थे। तब हसीना सरकार में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे।