नेपाल में हाल ही हुए युवाओं के विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले केपी शर्मा ओली शनिवार को पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आए। उन्होंने अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल की स्टूडेंट विंग राष्ट्रीय युवा संघ के कार्यक्रम में भाग लिया और वर्तमान अंतरिम सुशीला कार्की सरकार व प्रदर्शनकारियों पर तीखा हमला किया।ओली ने कहा कि मौजूदा सुशीला कार्की की सरकार "Gen-Z सरकार" है, जो संवैधानिक प्रक्रिया के बजाय हिंसा और प्रचार के जरिए बनी है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलवाईं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पासपोर्ट को निलंबित करने की अफवाहें निराधार हैं और वह देश छोड़कर नहीं भागेंगे।
ओली ने कहा, "हम इस देश को फिर से संवैधानिक लोकतांत्रिक मुख्यधारा में लाएंगे। माओवादी संघर्ष के दौरान देश को हुए नुकसान को हमने स्थिर किया था, अब फिर ऐसा करेंगे।" उन्होंने संविधान दिवस (19 सितंबर) पर फेसबुक पोस्ट में भी यह दावा किया था कि प्रदर्शन में घुसपैठ कर हिंसा भड़काई गई थी और पुलिस के पास स्वचालित हथियार नहीं थे।पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके इस्तीफे के बाद सिंह दरबार को जलाया गया, नेपाल का नक्शा और प्रतीक नष्ट किए गए, और कई संस्थाओं पर हमला हुआ। उन्होंने वर्तमान अंतरिम सरकार पर आरोप लगाया कि यह देश के संवैधानिक ढांचे और लोकतंत्र पर बड़ा हमला कर रही है। ओली की यह पहली सार्वजनिक उपस्थिति नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और युवा विरोध प्रदर्शनों के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही है।