अमरीका द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क तथा रूस से तेल आयात करने के कारण जुर्माने के रूप में 25 प्रतिशत और शुल्क लगाने के बाद मूडीज रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि इससे देश की विकास दर में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। भारत को मुद्रास्फीति और निर्यात में संभावित गिरावट के बीच संतुलन बनाकर चलने की सलाह देते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिका में आयात शुल्क की दोहरी मार से एशिया-प्रशांत के दूसरे देशों की तुलना में भारतीय सामानों पर वहाँ शुल्क 15 से 20 प्रतिशत अधिक हो जायेगा। चीन के साथ आपूर्ति श्रृंखला में आयी बाधा के बाद एशिया-प्रशांत के देश उस खाई को भरने के लिए होड़ लगा रहे हैं।
उसने कहा कि अमेरिकी आयात शुल्क के जवाब में भारत किस प्रकार की प्रतिक्रिया देता है उससे यह तय होगा कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर कितनी रहेगी और मुद्रास्फीति तथा निर्यात किस प्रकार का रहता है। भारत ने साल 2022 से रूस से तेल आयात में भारी वृद्धि की है। इस दौरान यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर उसके कच्चे तेल की माँग कम होने से उसने वैश्विक बाजार की तुलना में सस्ते दाम पर भारत को तेल की आपूर्ति की। साल 2021 में रूस के भारत ने 2.8 अरब डॉलर का तेल खरीदा था। साल 2024 में यह आँकड़ा बढक़र 56.8 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस कारण देश में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम नियंत्रण में रहे जिससे मुद्रास्फीति की सीमित रखने में मदद मिली।
मूडीज रेटिंग्स का कहना है कि यदि भारत ने अमेरीका के 50 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क के बावजूद रूस से तेल आयात जारी रखा तो जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 0.30 प्रतिशत घट सकती है। दूसरी तरफ, यदि भारत ने रूस से तेल आयात घटाकर अमरीकी जुर्माने से बचने की कोशिश की जो अभी 25 प्रतिशत है, उसे दूसरे स्रोतों से तेल आयात के विकल्प खोजने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक भारत के ऐसा करने से दूसरे तेल उत्पादक देशों की तेल की मांग बढ़ेगी। इससे कच्चा तेल महँगा होगा और भारत समेत दुनिया भर में मुद्रास्फीति बढ़ेगी। मूडीज रेटिंग्स ने कहा है कि उसे एक ऐसे समझौते की उम्मीद है, जो दोनों के बीच का मध्यम मार्ग होगा।