भारत की बढ़ती युवा आबादी में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इस जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने के लिए सही कौशल की जरूरत है। कौशल विकास, शिक्षुता, उद्यमिता, वैश्विक श्रम शक्ति की जरूरतों के अनुरूप तैयारी और पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने के केन्द्रित प्रयासों के जरिए, सरकार अपने नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक प्रगति का वाहक बनने के लिए सशक्त बना रही है। वर्ष 2014 से, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं के जरिए 6 करोड़ से अधिक भारतीयों को अपना और देश का एक उज्ज्वल भविष्य बनाने हेतु सशक्त बनाया है।
स्किल इंडिया अभियान विकसित भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
इस बदलाव के केन्द्र में देश का स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) है, जो विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को उद्योग जगत के लिए प्रासंगिक एवं आवश्यक कौशल से लैस कर रहा है। ये पहल कौशल विकास, फिर से कुशल बनाने और कौशल के उन्नयन पर केन्द्रित हैं, जिससे लाखों लोगों को स्थायी करियर के लिए आवश्यक उपकरण हासिल होते हैं। कौशल संबंधी कमियों को पूरा करके, नवाचार को बढ़ावा देकर और रोजगार के नए अवसर पैदा करके, एसआईएम एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
स्किल इंडिया मिशन ने युवाओं को आत्मनिर्भरता का हौसला और हुनर दिया
स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केन्द्रों/संस्थानों के एक व्यापक नेटवर्क के जरिए कौशल, फिर से कुशल बनाने और कौशल के उन्नयन से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करता है। फरवरी 2025 में, पुनर्गठित ‘स्किल इंडिया कार्यक्रम’ को 2022-23 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0), प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना को एक ही केन्द्रीय क्षेत्र योजना में विलय कर दिया गया था। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) – ग्रामीण क्षेत्रों सहित देशभर के युवाओं को पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) के जरिए अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण और कौशल का उन्नयन/ फिर से कुशल बनाने की सुविधा प्रदान करती है।
जन शिक्षण संस्थान स्कूल छोड़ने वाले युवाओं को व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी बनने का अवसर देता है
जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) – 15-45 आयु वर्ग के निरक्षरों, नव-साक्षरों और स्कूल की पढ़ाई छोड़ने वालों (12वीं कक्षा तक) को व्यावसायिक कौशल प्रदान करता है। यह ग्रामीण और कम आय वाले शहरी क्षेत्रों में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों पर ध्यान केन्द्रित करता है। इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 26 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना के तहत प्रशिक्षुओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है
राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) – प्रशिक्षुओं को वृत्तिका (स्टाइपेंड) के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षुता को बढ़ावा देती है। प्रशिक्षण में उद्योगों में बुनियादी और कार्यस्थल/व्यावहारिक प्रशिक्षण, दोनों शामिल हैं। पीएम-एनएपीएस के तहत, 51,000 से अधिक प्रतिष्ठानों की भागीदारी के साथ 19 मई 2025 तक 36 राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों में 43.47 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को नियोजित किया जा चुका है।
कौशल विकास का एक अनुकूल एवं उत्तरदायी इकोसिस्टम बनाने के लिए हैदराबाद और चेन्नई में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान बनाने की घोषणा की गई
कौशल विकास का एक अनुकूल एवं उत्तरदायी इकोसिस्टम बनाने हेतु, 16 जून, 2025 को हैदराबाद और चेन्नई में राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) में दो नए उत्कृष्टता केन्दों की घोषणा की गई। ये केन्द्र उभरते क्षेत्रों की जरूरतों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षक प्रशिक्षण और विशेष कौशल के लिए राष्ट्रीय संदर्भ बिंदु के रूप में काम करेंगे।