नई दिल्ली: एसटी की दरों में कमी आने से लंबी अवधि में राजकोषीय राजस्व बढ़ सकता है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक यीफार्न फुआ ने मंगलवार को यह बात कही। फुआ की यह टिप्पणी केंद्र और राज्यों की बुधवार और गुरुवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से पहले आई है, जिसमें केंद्र की ओर से जीएसटी सुधार के प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। केंद्र सरकार ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में सुधारों का प्रस्ताव किया है। इसके तहत स्लैब को घटाकर केवल दो पांच और 18 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इसके साथ ही कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष कर दर का प्रावधान किया जा सकता है। फुआ ने कहा, प्रस्तावित दो स्तरीय दर प्रणाली जिस पर विचार किया जा रहा है, इससे प्रभावी दर कुछ कम हो सकती है, लेकिन आसान कार्यान्वयन और लेखांकन प्रक्रिया के कारण, लंबी अवधि में राज्य और केंद्र सरकारों के राजस्व में इजाफा हो सकता है।
फुआ ने कहा कि इस प्रस्ताव पर केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी प्रणाली में सुधारों से राजकोषीय राजस्व पर असर पडऩे की संभावना नहीं है। फुआ ने कहा, कुल मिलाकर, हमें नहीं लगता कि इससे राजकोषीय राजस्व पर कोई बड़ा असर पड़ेगा। कम दरों और स्पष्ट कार्यान्वयन के साथ, अल्पावधि में उपभोग व्यय को बढ़ावा देना भी संभव है। हम इस पर नजर रख रहे हैं। जीएसटी की दरों बदलाव से वर्गीकरण संबंधी विवाद, मुकदमेबाजी और कर चोरी की गुंजाइश कम हो जाएगी।
वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब
वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत है। यह 2017 में लागू होने के बाद जीएसटी सरकार के राजस्व का एक महत्वपूर्ण घटक रही है। जीएसटी दर में बदलाव से राजस्व पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर फुआ ने कहा कि वर्तमान जीएसटी व्यवस्था जटिल है। इसमें चार अलग-अलग दरें हैं, जिससे अकाउंटिंग और कार्यान्वयन कभी-कभी काफी कठिन हो जाता है।