बिहार की राजधानी पटना से एक चौंकाने वाली वारदात सामने आई है, जहां एक सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए कैदी को पांच बदमाशों ने पुलिस की मौजूदगी में गोलियों से भून डाला। यह सनसनीखेज घटना अस्पताल के CCTV कैमरों में कैद हो गई है। घटना के बाद से अस्पताल में दहशत का माहौल है और पुलिस की लापरवाही को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
कैसे हुई वारदात?
वारदात की जानकारी के मुताबिक, हमलावर पिस्टल लेकर अस्पताल में घुसे और कमरा नंबर 209 में जाकर कैदी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। घटना के समय पुलिस भी अस्पताल में मौजूद थी, लेकिन वह हमलावरों को रोकने में नाकाम रही। हमलावरों ने कैदी को गोलियों से छलनी करने के बाद मौके से फरार हो गए। अस्पताल में यह घटना रात के वक्त नहीं, बल्कि दिन के समय हुई, जब अधिकतर लोग अस्पताल में मौजूद थे। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि पुलिस की मौजूदगी में इतनी बड़ी वारदात कैसे हो सकती है?
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद हमलावरों ने अस्पताल में खुलकर गोलियां चलाईं, जिससे यह सवाल उठता है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर थी। क्या अस्पताल में कैदी की निगरानी सही से की जा रही थी? क्या पुलिस को पूरी जानकारी थी कि इस कैदी की जान को खतरा हो सकता है? अस्पताल में यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद होने के बावजूद बदमाश आसानी से फरार हो गए, जो पुलिस और अस्पताल प्रशासन के लिए गंभीर सवाल पैदा करता है।
कैदी कौन था - चंदन मिश्रा?
अब हम जानते हैं कि यह हत्या किस व्यक्ति की हुई, जिसका नाम है चंदन मिश्रा, जो बक्सर जिले का रहने वाला था। चंदन मिश्रा का नाम कई अपराधों से जुड़ा हुआ है, और वह पहले ही कई हत्याओं के मामले में आरोपी था। जेल में बंद चंदन मिश्रा हाल ही में इलाज के लिए पैरोल पर बाहर आया था, और उसे पटना के एक बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था।
चंदन मिश्रा ने सालों से जेल में रहते हुए भी अपनी गैंग को बाहर से चलाया था, और इसके चलते उसे अंतरराज्यीय अपराधों का मास्टरमाइंड माना जाता था। इसके अलावा चंदन मिश्रा के खिलाफ कई हत्या, रंगदारी और जेल के भीतर अपराध करने के मामले दर्ज थे। उसकी हत्या ने उसके अतीत को फिर से सामने ला दिया, और कई पुराने मामलों की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई।
चंदन मिश्रा का काला इतिहास
चंदन मिश्रा का अपराधों से भरा हुआ इतिहास रहा है, जो कई सालों तक बिहार के अपराध जगत में चर्चा में रहा।
1. 2011 में चूना व्यापारी की हत्या : चंदन मिश्रा का नाम 2011 में बक्सर के चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी की हत्या में आया था। व्यापारी को रंगदारी न देने पर गोली मार दी गई थी, और इसमें चंदन मिश्रा और उसके साथी शेरू सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया। बाद में दोनों को पुलिस ने बंगाल से गिरफ्तार किया।
2. जेलकर्मी की हत्या का आरोप : चंदन मिश्रा और शेरू सिंह पर 2011 में जेलकर्मी हैदर इमाम वर्सी की हत्या का भी आरोप था, हालांकि अदालत में यह आरोप साबित नहीं हो सका और दोनों को बरी कर दिया गया।
3. गैंगवार और आतंक : चंदन मिश्रा और उसके साथी शेरू सिंह ने 2009 से 2012 के बीच अपराधों की एक लंबी श्रृंखला की थी। इन दोनों के गैंगवार के कारण बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ गई थीं। पुलिस की कई बार कोशिशों के बावजूद इन दोनों का आतंक जेल में बंद होने के बावजूद खत्म नहीं हुआ। चंदन मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद भी उसका गैंग सक्रिय था, जो हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देता था।
गैंगवार के तहत हत्या का शक
हालांकि, इस हत्या के पीछे गैंगवार का शक जताया जा रहा है। पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा का कहना है कि यह हमला गैंगवार के तहत किया गया हो सकता है। चंदन मिश्रा को जेल से बाहर आते ही अपराधियों द्वारा मार दिया गया, और उसके बाद इसके पीछे आंतरिक गैंगवार की आशंका जताई जा रही है।
जेल से बाहर आते ही अपराध का सिलसिला
चंदन मिश्रा को जेल में रहते हुए भी अपने गैंग के जरिए अपराधों को अंजाम देने में कोई रोक-टोक नहीं थी। 2015 में बक्सर में इस्लाम मियां की हत्या के मामले में भी चंदन का नाम सामने आया था, और इस बात की पुष्टि भी हुई थी कि गैंगवार की घटनाएं चंदन के इशारे पर हो रही थीं।
चंदन मिश्रा की हत्या ने बिहार के अपराध जगत को फिर से उजागर किया है। यह घटना यह साबित करती है कि जेल के भीतर से भी अपराधी अपनी गैंग चलाते रहते हैं। इसके अलावा, इस घटना ने अस्पताल की सुरक्षा और पुलिस की जिम्मेदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस हत्या के बाद, राज्य सरकार को अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर पुनः विचार करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।