साेलन : हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नगरी परवाणू ने यह साबित कर दिया है कि विकास और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं। कभी प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहे इस शहर ने अपनी हवा को इतना शुद्ध बना लिया है कि आज यह पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2025 में 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में परवाणू ने देशभर में दूसरा स्थान हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने परवाणू को इस शानदार उपलब्धि के लिए 25 लाख रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। इस श्रेणी में मध्य प्रदेश के देवास शहर ने पहला स्थान प्राप्त किया है।
बता दें कि कुछ साल पहले तक परवाणू को प्रदूषित शहरों की सूची में रखा गया था। यहां की हवा का स्तर अक्सर मध्यम (101-201 एक्यूआई) श्रेणी में रहता था, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। परवाणू शहर काे यह सफलता एक दिन में नहीं मिली, इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति और कड़ी मेहनत है। शहर की सड़कों को धूल से बचाने के लिए एंड-टू-एंड पक्का किया गया और धूल उड़ाने वाली पुरानी झाड़ू की जगह अब आधुनिक मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनें सफाई करती हैं। शहर के सीने पर नासूर बने पुराने डंपिंग साइट का वैज्ञानिक तरीके से निपटान (बायोरेमेडिएशन) किया गया और उसकी जगह पर एक खूबसूरत नागर वाटिका (सिटी फॉरेस्ट) विकसित की गई, जो आज शहर के फेफड़ों का काम कर रही है। शहर में हरित क्षेत्र बढ़ाने पर खास जोर दिया गया और बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाए गए। यातायात को सुगम बनाने और जाम से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए इंटैलिजैंट ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम लागू किया गया। उद्योगों से निकलने वाले धुएं को कम करने के लिए स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने परवाणू के निवासियों और स्थानीय प्रशासन को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान हमारी सरकार की पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता और जनता के सहयोग का प्रतीक है। हम प्रदेश के सभी शहरों की आबोहवा को बेहतर बनाने के लिए संकल्पित हैं और यह पुरस्कार हमें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।
परवाणू के साथ हिमाचल के अन्य शहरों ने भी दिखाया दम
शहर |
कुल अंक |
देश में स्थान |
परवाणू |
191.5 |
दूसरा |
नालागढ़ |
187.2 |
छठा |
बद्दी |
183.3 |
10वां |
पांवटा साहिब |
181.5 |
12वां |
डमटाल |
169.6 |
22वां |
सुंदरनगर |
168.7 |
24वां |
कालाअम्ब |
166.0 |
27वां |
क्या है हवा की शुद्धता का पैमाना (AQI)?
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक पैमाना है जिसका उपयोग हवा की गुणवत्ता की जानकारी देने के लिए किया जाता है। यह बताता है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित है और प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है। AQI का मान 0 से 500 तक होता है। मान जितना अधिक होता है, हवा उतनी ही अधिक प्रदूषित मानी जाती है।
AQI को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है और प्रत्येक श्रेणी को एक रंग और स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव के साथ जोड़ा गया है:
-
हरा (0-50): इस श्रेणी में हवा की गुणवत्ता "अच्छी" मानी जाती है। इसका मतलब है कि हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत कम है और यह स्वास्थ्य पर कोई खतरा पैदा नहीं करता।
-
पीला (51-100): यह "संतोषजनक" श्रेणी है। हवा की गुणवत्ता स्वीकार्य है, लेकिन अत्यधिक संवेदनशील लोगों को हल्की सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
-
नारंगी (101-200): इस श्रेणी को "मध्यम" माना जाता है। इस स्तर पर लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा या सांस की बीमारी वाले लोगों को परेशानी हो सकती है।
-
लाल (201-300): यह "खराब" श्रेणी है। हवा का यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और दिल या सांस की बीमारी वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।
-
गहरा लाल/बैंगनी (301-400): इस श्रेणी को "बहुत खराब" कहा जाता है। यह स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे सांस लेने में गंभीर परेशानी हो सकती है।
-
गहरा बैंगनी/मैरून (401-500): यह "गंभीर" श्रेणी है और एक स्वास्थ्य आपातकाल है। इस स्तर पर हवा हर किसी को प्रभावित कर सकती है और लंबे समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए।