उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 1 जनवरी 2025 से 10 जून 2025 के मध्य नए ड्राइविंग लाइसेंस आवेदनों की पेंडेंसी का गहन विश्लेषण किया। इस अवधि में प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में प्राप्त कुल आवेदनों की संख्या एवं उनके निस्तारण की दर से स्पष्ट हुआ कि विभाग की ओर से चलाए जा रहे ”पेपरलेस, फेसलेस और कैशलेस” अभियान के सकारात्मक नतीजे दिखाई पड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग आमजन की सुविधाओं के लिए नित्य नवीन कार्य कर रहा है।
उत्तर प्रदेश परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा, ”विभाग के निरंतर प्रयासों से लाइसेंस प्रक्रिया अधिक सरल, त्वरित और पारदर्शी हुई है। सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि लंबित मामलों का अनुमोदन सात दिन के भीतर आवश्यक रूप से सुनिश्चित किया जाए। अपेक्षाकृत पीछे चल रहे जिलों के अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे अपने कार्यों की समीक्षा करें और विभाग द्वारा जारी किए गए विस्तृत विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर त्वरित सुधार करें।”
वहीं, समीक्षा में पता चला कि राज्य के कई जिलों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिसमें गाजियाबाद में कुल 24,115 आवेदनों में केवल 15 आवेदन ही लंबित पाए गए, जो कुल का मात्र 0.06 प्रतिशत है। प्रयागराज (आरटीओ प्रयागराज) में कुल 23,914 में से केवल 33 आवेदन लंबित पाए गए, जो कुल का मात्र 0.13% है।
इसी प्रकार मुजफ्फरनगर में 13,523 आवेदनों में से केवल 20 आवेदन (0.15%) ही लंबित हैं। शाहजहांपुर और अमेठी जैसे जिलों में आवेदनों की कुल संख्या कम होने के बावजूद लंबित आवेदनों का प्रतिशत तुलनात्मक रूप से थोड़ा अधिक (0.46% एवं 0.63%) पाया गया है, जिस पर विभाग द्वारा तत्काल ध्यान देते हुए विशेष निगरानी शुरू की गई है।
परिवहन विभाग की बेहतर निगरानी, प्रशासनिक दक्षता और सोशल मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों से जन जागरूकता अभियानों का परिणाम है कि लगभग 90% से अधिक जिलों में पेंडेंसी की दर 0.5% से भी कम रही है। परिवहन विभाग के मुताबिक, जनसेवा केंद्रों और सारथी पोर्टल की मदद से आने वाले समय में प्रदेश के हर जिले में ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन व अनुमोदन प्रक्रिया में और भी अधिक सुधार होगा। विभाग द्वारा नियमित रूप से जिलों की प्रदर्शन समीक्षा जारी रहेगी, जिससे बेहतर परिणाम निरंतर सुनिश्चित हो सकें।