शहिणा (बरनाला); पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें पवित्र ग्रंथों की बेअदबी जैसी घिनौनी घटनाओं को अंजाम देने वालों को संरक्षण देती रही हैं, जबकि हमारी सरकार ने एक नए कानून के माध्यम से ऐसे अपराधियों को मिसाली सज़ा देने की व्यवस्था की है।
जनता को वर्चुअल रूप से सार्वजनिक पुस्तकालय समर्पित करने के उपरांत जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पवित्र ग्रंथों की बेअदबी को रोकने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। उन्होंने बताया कि बीते सोमवार को सरकार ने 'पंजाब पवित्र धार्मिक ग्रंथों के विरुद्ध अपराध निवारण विधेयक-2025' विधानसभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस प्रकार की संवेदनशील और गंभीर घटनाएं हर पंजाबी की अंतरात्मा को झकझोर देती हैं और इसका असर वर्तमान व आने वाली पीढ़ियों पर गहरा होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि ' युद्ध नशों विरुद्ध' मुहिम की शानदार सफलता ने प्रदेश सरकार की रणनीति को प्रभावी सिद्ध किया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वे राजनैतिक रसूख रखने वाले प्रभावशाली लोग, जो स्वयं को कानून से ऊपर समझते थे, आज नाभा जेल में बंद हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नशा तस्करी के आरोपों का सामना कर रहे ऐसे नेताओं की गिरफ्तारी ने पारंपरिक राजनीतिक दलों के दोहरे चरित्र को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कहा कि नशे की यह लानत लंबे समय से पंजाब की छवि को धूमिल कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें नशे की आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ना, बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी, पीड़ितों का पुनर्वास और तस्करों की अवैध संपत्तियों को ज़ब्त या ध्वस्त करना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नशा विरोधी अभियान के तहत गांवों की पंचायतें अपने गांवों को 'नशा मुक्त' घोषित करने के प्रस्ताव पारित कर रही हैं। उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार नशे के धंधे से मुनाफा कमाने के लिए लोगों के घर उजाड़ने वाले तस्करों को किसी भी कीमत पर बख्शेगी नहीं। उन्होंने गर्व से कहा कि राज्य सरकार ने नशा तस्करों की आपूर्ति श्रृंखला पहले ही तोड़ दी है और इस गोरखधंधे में लिप्त 'बड़ी मछलियों' को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है। पहली बार तस्करों की अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को ज़ब्त या ध्वस्त किया जा रहा है, जिससे अन्य को सबक मिलता है।
कृषि क्षेत्र की बात करते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने ट्यूबवेल के बिना धान की बुवाई सुनिश्चित करने का जो वादा किया था, वह अब पूरा हो रहा है। उन्होंने गर्व से बताया कि अब नहरी पानी दूर-दराज के टेल इलाकों तक भी पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्यभर में 15,947 खालों और कशियों (सिंचाई नहरों) की सफाई करवाई है। जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला था, तब केवल 21% सिंचाई के लिए नहरी पानी इस्तेमाल होता था, जबकि अब यह बढ़कर 63% हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने पंजाब का पानी दूसरे राज्यों में नहीं जाने दिया, बल्कि इसकी रक्षा के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने देश में पहली बार सड़क सुरक्षा बल (एसएसएफ) की शुरुआत कर राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों की सुरक्षा को सुदृढ़ किया है। इस बल में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त 1,597 जवान शामिल हैं, जिनमें महिला कर्मचारी भी हैं और बल को 144 आधुनिक वाहनों से सुसज्जित किया गया है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2023 में इसकी शुरुआत के बाद सड़क हादसों में मौतों की संख्या में 48.10% की गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी सराहना कई राज्यों और भारत सरकार ने भी की है।
एक अन्य जनकल्याणकारी पहल का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि देश में पहली बार 'मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना' शुरू की गई है, जो पंजाब के प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपये तक का कैशलेस स्वास्थ्य इलाज प्रदान करती है। उन्होंने गर्व से कहा कि पंजाब 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ काफी हद तक कम होगा और उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के केवल 36 महीनों में युवाओं को 55,000 से अधिक सरकारी नौकरियां देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि ये नौकरियां बिना सिफारिश और रिश्वत के, पूरी तरह योग्यता के आधार पर दी गई हैं। इसका परिणाम यह है कि अब कई युवा विदेशों में रोजगार तलाशने की बजाय पंजाब में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं।