नई दिल्ली। विपक्षी दलों के इंडिया समूह ने पहलगाम हमला, आपरेशन सिंदूर, सैन्य कार्रवाई तथा आतंकवाद को खत्म कर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में देश कितना सफल रहा इन सब मुद्दों पर व्यापक चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मंगलवार को मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है जिसमें 16 दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। इंडिया समूह के नेताओं ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद की स्थिति और सांसदों के सात प्रतनिधि मंडलों को दुनिया के विभिन्न देशों की राजधानियों में भेजकर आतंकवाद पर हम अपना पक्ष रखने में कितना सफल रहे इसकी जानकारी देश चाहता है।
विपक्षी दलों ने कहा कि सांसदों का प्रतिनिधि मंडल लौट रहा है और इसमें दुनिया को समझाने में हम कितना सफल रहे इस बारे में सारी जानकारी संसद में दी जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि पूरी दुनिया को बताने के लिए सांसदों का प्रतिनिधि मंडल विदेशों में भेजा जाता है, लेकिन अपनी संसद और उसके माध्यम से देश की जनता को कुछ नहीं बताया जाता है। संसद सत्र को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाकर सांसदों और देश को पूरे घटनाक्रम की जानकारी देना जरूरी है।
बैठक के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद देश जानना चाहता है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के नाम पर दुनिया में अलग थलग करने तथा आतंकवाद को खत्म करने में हमारी कोशिश कितना सफल रही है। यह बात संसद में बताई जानी चाहिए इसलिए संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गठबंधन के 16 दलों के नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया और श्री मोदी को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इस सत्र में पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई तथा कार्रवाई रोकने में अमेरिकी दखल और अन्य मुद्दों पर देश को जानकारी दी जानी चाहिए।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि आतंकी हमले के बाद पूरा देश एकजुट था और कांग्रेस पार्टी तथा सभी विपक्षी दल अपने सशस्त्र बलों और सरकार के समर्थन में खड़े थे। जब अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई रोकने की घोषणा की तो इसने सभी को चौंका दिया इसलिए देश जानना चाहता है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। विपक्ष सरकार से लगातार संसद सत्र का विशेष सत्र बुलाकर जानकारी साझा करने की मांग कर रहा है ताकि सभी दल हमारे सशस्त्र बलों को धन्यवाद दे सकें। पहलगाम से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका से सैन्य कार्रवाई रोकने की घोषणा तक की स्थिति पर संसद में बात होनी चाहिए और देश को बताया जाना चाहिए कि आतंकवाद को कैसे खत्म करना है और इस पर हमारी अगली रणनीति क्या है इसको लेकर संसद में ही व्यापक चर्चा होनी चाहिए।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई रोकने में अपनी भूमिका को लेकर 15 दिनों में 13 बयान दिए और उनके बयानों से भारत की भावनाएं आहत हुई हैं। इन बयानों से पूरा राष्ट्र आहत है। सरकार अगर संसद का सत्र बुलाती है तो सत्र में इस मुद्दे पर पूरी संसद एक स्वर में अपनी बात रखती। यह सरकार और विपक्ष का मामला नहीं है, यह जवाबदेही का मामला है। सरकार संसद के लिए और संसद देश् की जनता के लिए जिम्मेदार है।
समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद आतंकवादी ठिकानों पर हमला और फिर पाकिस्तान के साथ सैन्य कार्रवाई हुई। उसमें हम कितना सफल हुए और आज हमारी स्थिति क्या है, किन देशों ने इस कार्रवाई के दौरान हमारा साथ दिया, यह यह देश जानना चाहता है। असली बात यह है कि इस र्कारवाई के दौरान एक भी देश भारत के समर्थन में सामने नहीं आया जबकि पाकिस्तान का कुछ देशों ने खुलकर समर्थन किया। यह स्थिति चिंताजनक है और कह सकते हैं कि कूटनीतिक मोर्चे पर हमारी विफलता है। डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई रोकने की आश्चर्यचकित करनेवाली घोषणा कर दी जिसे देखकर लगता है कि कार्रवाई करने के लिए हमें मजबूर किया गया। सैन्य कार्रवाई रोकने की घोषणा अमेरिका से होती है और यहां कार्रवाई रुक जाती है। यह देश के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि अमेरिका की इस घोषणा से पूरी दुनिया में भारत का सम्मान गिरा है।
शिवसेना उद्धव गुट के संजय राउत ने कहा, “इंडिया समूह की बैठक में संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए श्री मोदी को पत्र लिखा गया है और इस पर 16 राजनीतिक दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। यह कोई सामान्य पत्र नहीं है। विपक्ष जनता की आवाज है। हम चाहते हैं कि देश में अब तक जो कुछ भी हुआ है, उस पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाया जा। सबसे चिंता की बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के सुझाव पर सैन्य कार्रवाई रोकने की बात है तो इससे देश का सम्मान गिरा है। सवाल यह भी कि आखिर विपक्ष के बार-बार के अनुरोध के बाद भी विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहा है।”
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 16 दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पत्र में पुंछ, उरी, राजौरी और संसद में जो कुछ हुआ है उस पर चर्चा कराने की बात लिखी गई है। उनका कहना था कि सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी है और संसद लोगों के प्रति उत्तरदायी है इसलिए विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना उद्धव गुट, राजद, नेशनल कॉन्फ्रेंस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आईयूएमएल, आरएसपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित 16 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।