भारत ने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण देश बन गया है। वर्ष 2014 में भारत में केवल 2 मोबाइल विनिर्माण इकाइयां थीं, लेकिन आज देश में 300 से अधिक विनिर्माण इकाइयां हैं, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अभूतपूर्व विस्तार को दर्शाती हैं। आधिकारिक बयान के अनुसार, अब मेक इन इंडिया मोबाइल को दुनियाभर में अपनाया जा रहा है और हर सप्ताह 63 लाख से अधिक फोन का उत्पादन हो रहा है।
इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अनुसार, 2014-15 में भारत में बिकने वाले सिर्फ़ 26% मोबाइल फ़ोन भारत में बने थे, बाकी आयात किए जा रहे थे। गौरतलब है कि आज भारत में बिकने वाले 99.2% मोबाइल फ़ोन भारत में ही बनते हैं । मोबाइल फ़ोन का विनिर्माण मूल्य वित्त वर्ष 2014 में 18,900 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 4,22,000 करोड़ रूपये हो गया है ।
दरअसल, 2014 में शुरू की गई मेक इन इंडिया पहल भारत के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम रही है। इस पहल की कल्पना ऐसे समय में की गई, जब भारत के आर्थिक विकास में तेजी से गिरावट आई थी और देश को अपने विकास पथ को बनाए रखने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इस पृष्ठभूमि में, “मेक इन इंडिया” को भारत को डिजाइन और विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में बदलने के लिए डिजाइन किया गया था। इसके मुख्य उद्देश्य निवेश को सुविधाजनक बनाना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना था।
आपको बता दें, “मेक इन इंडिया” पहल भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में आधारशिला रही है। औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर विशेष ध्यान देकर इस पहल का उद्देश्य भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करना है। इसी क्रम में भारत में प्रतिवर्ष 325 से 330 मिलियन से अधिक मोबाइल फोन निर्मित होते हैं तथा औसतन भारत में लगभग एक बिलियन मोबाइल फोन उपयोग में हैं। निर्यात, जो 2014 में लगभग नगण्य था, अब 1,29,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है।
चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) को 2017 में मोबाइल फोन और उनके उप-असेंबली/भागों के विनिर्माण में घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए अधिसूचित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्रोत्साहित करना और मोबाइल उपकरणों के लिए एक मजबूत स्थानीय विनिर्माण इको-सिस्टम बनाना है।
नतीजतन, भारत ने इस क्षेत्र में तेजी से निवेश आकर्षित करना शुरू कर दिया है और देश में महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षमता स्थापित की गई है। मोबाइल फोन का विनिर्माण लगातार सेमी नॉक्ड डाउन (एसकेडी) से पूरी तरह से नॉक्ड डाउन (सीकेडी) स्तर की ओर बढ़ रहा है, जिससे घरेलू मूल्य संवर्धन में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।
यही नहीं, इस क्षेत्र का विस्तार रोजगार का एक प्रमुख स्रोत भी रहा है, जिसने पिछले दशक में लगभग 12 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा किए हैं । इन रोजगार अवसरों ने न केवल कई परिवारों की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाया है, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में भी योगदान दिया है।