Thursday, November 06, 2025
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शिक्षा

कौशल विकास से किसानों की आय और आत्मनिर्भरता में बढ़ोतरी

30 सितंबर, 2025 10:39 PM

देश को सशक्त बनाने के लिए किसानों का सशक्त होना बहुत जरूरी है। इसलिए किसानों को सशक्त बनाना भारत की कृषि रणनीति की आधारशिला बनकर उभरा है। भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और लगभग आधी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसलिए समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए किसानों के कौशल और क्षमताओं को मज़बूत करना ज़रूरी है। आज किसानों के समक्ष चुनौतियाँ ऋण या इनपुट तक पहुँच से कहीं अधिक हैं; इनमें जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाना, मृदा स्वास्थ्य का प्रबंधन, मशीनीकरण को अपनाना और बेहतर बाज़ार अवसर हासिल करना शामिल है।

भारत सरकार ने इसे समझते हुए कौशल विकास और प्रशिक्षण को अपने ग्रामीण विकास एजेंडे के केंद्र में रखा है। पिछले एक दशक में, किसानों को व्यावहारिक ज्ञान, व्यावसायिक कौशल और आधुनिक तकनीकों से परिचित कराने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसान केवल किसान ही न बनें, बल्कि नवप्रवर्तक, निर्णयकर्ता और कृषि-मूल्य श्रृंखला में सक्रिय योगदानकर्ता भी बनें।

कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) जैसे संस्थानों और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए), ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाई), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम), और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) जैसी योजनाओं ने मजबूत प्रशिक्षण मंच तैयार किए हैं, जबकि बागवानी, पशुधन, मृदा प्रबंधन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र-विशिष्ट हस्तक्षेप ढाँचों में कौशल को एकीकृत कर रहे हैं। कुल मिलाकर, ये प्रयास स्पष्ट दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं: उत्पादकता बढ़ाने, आय बढ़ाने और लचीले कृषि क्षेत्र के निर्माण के लिए कौशल संवर्धन के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना अत्यंत आवश्यक है।

किसान प्रशिक्षण के लिए संस्थागत मंच का निर्माण

कौशल संवर्धन को सीधे किसानों तक पहुँचाने के लिए मज़बूत संस्थागत ढाँचा बनाया गया है, जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा स्थापित, केवीके जिलों में अग्रणी विस्तार केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं। ये स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रदर्शनों और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से अनुसंधान और अभ्यास के बीच की खाई को पाटते हैं। 2021 और 2024 के बीच, केवीके ने 58.02 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया, और हर साल उनकी पहुँच लगातार बढ़ रही है—2021-22 में 16.91 लाख किसान, 2022-23 में 19.53 लाख और 2023-24 में 21.56 लाख किसान। अकेले 2024-25 में, फरवरी 2025 तक, 18.56 लाख अतिरिक्त किसानों को भी प्रशिक्षित किया गया। ये आँकड़े फसल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, पशुपालन और संबद्ध गतिविधियों में व्यावहारिक कौशल के साथ किसानों को सशक्त बनाने में केवीके नेटवर्क की निरंतरता और व्यापकता को दर्शाते हैं। स्थानीय वास्तविकताओं पर आधारित प्रशिक्षण और वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर, केवीके किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी मंचों में से एक बन गए हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि वैज्ञानिक ज्ञान क्षेत्र-स्तरीय सुधारों और दीर्घकालिक लचीलेपन में परिवर्तित हो।

इसके पूरक के रूप में, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) ने राज्यों को विस्तार प्रणालियों को पुनर्जीवित करने में सहायता की है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) के रूप में लोकप्रिय ‘विस्तार सुधारों के लिए राज्य विस्तार कार्यक्रमों को समर्थन’ पर यह केंद्र प्रायोजित योजना पीएमकेवीवाई कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय पूरे देश में कार्यान्वित कर रहा है। कृषि विस्तार पर उप-मिशन (एसएम एई) के घटक के तहत यह योजना देश में विकेन्द्रीकृत किसान-अनुकूल विस्तार प्रणाली को बढ़ावा देती है। इसका उद्देश्य विस्तार प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों का समर्थन करना और किसानों, कृषि महिलाओं और युवाओं को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में नवीनतम कृषि तकनीकों और अच्छी कृषि पद्धतियों को किसान प्रशिक्षण, प्रदर्शन, प्रदर्शन यात्राओं, किसान मेलों आदि जैसे विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से उपलब्ध कराना है।

लगभग 32.38 लाख किसानों को 2021-22 में एटीएमए के तहत प्रशिक्षित किया गया। यह संख्या 2022-23 में बढ़कर 40.11 लाख और 2023-24 में 36.60 लाख हो गई। 2024-25 के आँकड़े अभी संकलित किए जा रहे हैं, लेकिन 30 जनवरी 2025 तक लगभग 18.30 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका था। कुल मिलाकर, 2021 से 2025 तक लगभग 1.27 करोड़ किसान इस योजना से लाभ उठा चुके हैं।

ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करना और मशीनीकरण को बढ़ावा देना

कृषि में उभरते अवसरों के लिए युवा पीढ़ी के किसानों को तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। ग्रामीण युवाओं के कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाई) कार्यक्रम को ग्रामीण युवाओं और किसानों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में लगभग सात दिनों का अल्पकालिक, कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उद्देश्य उनके ज्ञान को उन्नत करना, वेतन और स्व-रोज़गार को बढ़ावा देना और गाँवों में कुशल जनशक्ति का समूह तैयार करना है। हाल ही में, इस कार्यक्रम को आत्मा कैफेटेरिया के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है, जिससे राज्य-आधारित विस्तार प्रयासों के साथ घनिष्ठ एकीकरण सुनिश्चित होता है।

एसटीआरवाई बागवानी, डेयरी, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह महिला किसानों सहित 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के ग्रामीण युवाओं पर लक्षित है। पिछले चार वर्ष में, इस योजना ने लगातार अपनी पहुँच का विस्तार किया है। 2021-22 में, 10,456 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो 2022-23 में बढ़कर 11,634 और 2023-24 में 20,940 हो गए। इससे 2021 और 2024 के बीच प्रशिक्षित युवाओं की संचयी संख्या 43,000 से अधिक हो गई। चालू वर्ष में भी यह गति जारी रही है, 31 दिसंबर 2024 तक 8,761 अतिरिक्त युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रतिभागियों को व्यावहारिक कौशल से लैस करके और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करके, यह कार्यक्रम कुशल और आत्मनिर्भर किसानों की नई पीढ़ी का निर्माण कर रहा है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर सकते हैं।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के घटक के रूप में कार्यान्वित किए जा रहे कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम) का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों तथा कम कृषि बिजली उपलब्धता वाले क्षेत्रों में कृषि यंत्रीकरण की पहुँच का विस्तार करना है। इसके उद्देश्यों में छोटी जोत और उच्च स्वामित्व लागत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए कस्टम हायरिंग सेवाओं को बढ़ावा देना, प्रदर्शनों, क्षमता निर्माण और आईईसी गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता पैदा करना, और देश भर में निर्दिष्ट केंद्रों पर प्रदर्शन परीक्षण और प्रमाणन के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करना शामिल है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एसएमएएम) ने 2021 से 2025 तक चार साल की अवधि के दौरान कुल 57,139 किसानों को प्रशिक्षित किया है।

मृदा, संसाधनों और मूल्य श्रृंखलाओं पर ज्ञान को सुदृढ़ बनाना

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने फसल नियोजन और उर्वरक प्रयोग के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए किसानों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 24 जुलाई 2025 तक, देश भर में 25.17 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, साथ ही 93,000 से अधिक किसान प्रशिक्षण, 6.8 लाख प्रदर्शन और हजारों जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। इन प्रयासों ने किसानों के बीच संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा दिया है। इससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और कृषि उत्पादकता में स्थायी वृद्धि हुई है।

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन ने सामूहिक स्तर पर किसानों की क्षमता निर्माण के लिए नए मंच तैयार किए हैं। 10,000 पंजीकृत एफपीओ के साथ, किसानों को कृषि-व्यवसाय प्रबंधन, बाज़ार संपर्क और ई-नाम व जीईएम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग पर डिजिटल मॉड्यूल और वेबिनार के माध्यम से नियमित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

सरकार ने कौशल विकास को प्रमुख राष्ट्रीय योजनाओं में भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई 4.0) (2022-26) में कृषि को प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। यह कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को भारत के प्रमुख कौशल ढाँचे में एकीकृत करती है।

मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्रों, कौशल हब और पीएम कौशल केंद्रों के माध्यम से किसानों और ग्रामीण युवाओं को अल्पकालिक पाठ्यक्रमों (300-600 घंटे), पूर्व शिक्षा की मान्यता और विशेष परियोजनाओं में प्रशिक्षित किया जाता है।

पीएमकेवीवाई योजना के अंतर्गत, 2015 में शुरुआत से लेकर 30 जून, 2025 तक 1.64 करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और 1.29 करोड़ से अधिक लोगों को प्रमाणित किया गया है।

पीएमकेवीवाई की तरह, एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) जैसे क्षेत्र-विशिष्ट हस्तक्षेपों में क्रमशः बागवानी, पशुधन और खाद्य प्रसंस्करण में क्षमता निर्माण के लिए समर्पित घटक हैं।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) केन्द्र प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास पर केंद्रित है, जिसमें फल, सब्जियां, जड़ और कंद फसलें, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको और बांस शामिल हैं।

मानव संसाधन विकास (एचआरडी) कार्यक्रम के अंतर्गत 2014-15 से 2023-24 तक विभिन्न बागवानी गतिविधियों के तहत 9.73 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)

देशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए दिसंबर 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) कार्यान्वित किया जा रहा है। इसे 2400 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 2021-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के अंतर्गत जारी रखा जा रहा है।

आरजीएम के अंतर्गत, ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (मैत्री) को किसानों के घर पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है और अब तक देश में 38,736 मैत्री प्रशिक्षित और सुसज्जित हैं।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना व्यापक योजना है। इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास करना और खेत से लेकर खुदरा दुकानों तक निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला बनाना है।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के सात प्रमुख घटकों में से एक “मानव संसाधन एवं संस्थान” है। यह अनुसंधान एवं विकास, प्रचार गतिविधियों, कौशल विकास और संस्थानों के सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित है। इस घटक के अंतर्गत कौशल विकास का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए क्षेत्र-विशिष्ट कुशल कार्यबल तैयार करना है, जिसमें निम्न-स्तरीय कर्मचारी, संचालक, पैकेजिंग और असेंबली लाइन कर्मचारी से लेकर गुणवत्ता नियंत्रण पर्यवेक्षक तक शामिल हैं। इस प्रकार, इस क्षेत्र की विविध मानव संसाधन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा और इसके सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।

पीएम-किसान संपदा योजना की विभिन्न घटक योजनाओं के अंतर्गत 30 जून, 2025 तक 1601 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1133 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इससे देश के 34 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं।

कौशल विकास अब भारत के कृषि परिदृश्य में गहराई से समाया हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्रों और एटीएमए के राज्य-आधारित कार्यक्रमों में व्यावहारिक प्रशिक्षण से लेकर पीएमकेवीवाई, एसएमएएम, आरजीएम और पीएमकेएसवाई के अंतर्गत क्षेत्र-विशिष्ट कौशल विकास तक, ये पहल किसानों और ग्रामीण युवाओं को ज्ञान, आत्मविश्वास और व्यावहारिक क्षमताओं से लैस कर रही हैं।

क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार न केवल किसानों को बेहतर तरीके अपनाने में सक्षम बना रही है, बल्कि उन्हें उद्यमी, कृषि-व्यवसाय में अग्रणी और ग्रामीण विकास के प्रमुख वाहक बनने के लिए सशक्त भी बना रही है। ये सभी प्रयास मिलकर विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप कुशल, आत्मनिर्भर और लचीले कृषक समुदाय की नींव रख रहे हैं।

 

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