लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है। शिक्षक संगठनों द्वारा पहले ही मांग की जा रही थी कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर कारगर कदम उठाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाखों शिक्षकों की बढ़ी है चिंता
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले ने प्रदेश के लाखों शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। आदेश के अनुसार, कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को सेवा में बने रहने और पदोन्नति पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा।
शासन स्तर पर हुई बैठक के बाद योगी ने लिया फैसला
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो शासन स्तर पर हुई एक अहम बैठक के बाद सरकार ने यह फ़ैसला लिया है । इसमें उच्चतम न्यायालय में रिव्यू याचिका दाखिल करने के साथ ही अन्य राज्यों के रुख को देखने सहित अन्य संभावित विकल्पों पर विचार होगा।
शिक्षक संगठनों की मांग नियुक्त शिक्षकों को मिले छूट
इस बीच, शिक्षक संगठनों ने पहले ही मांग की थी कि 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत छूट मिली थी। राज्य सरकार सुप्रीम कोटर् में उनका पक्ष रखे और जरूरत पड़ने पर नियमों या अधिनियम में संशोधन कराए, ताकि पहले से कार्यरत शिक्षकों को राहत मिल सके।