अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बाद भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत बाधित हो गई थी। इसके चलते दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया। अब ट्रंप ने भारत भेजा ब्रेंडन लिंच, अपने खास वार्ताकार को, ताकि छठे दौर की बातचीत फिर से शुरू की जा सके।दोनों देश मंगलवार, 16 सितंबर को नई दिल्ली में हाई-लेवल मीटिंग करेंगे, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ट्रंप के टैरिफ फैसले से भारत-अमेरिका ट्रेड डील में खटास, अब विशेष वार्ताकार भेजे गए। भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने कहा कि अमेरिकी टीम मंगलवार को भारतीय प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल व्यापारिक चर्चा का हिस्सा है, जबकि ट्रंप के अचानक टैरिफ बढ़ाने से पहले बातचीत रोक दी गई थी।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच सकारात्मक वार्ता की उम्मीद है, लेकिन ट्रंप के टैरिफ फैसलों ने पहले ही रिश्तों को ठेस पहुंचाई है।ट्रंप ने पहले भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में दूरी बढ़ गई थी। अब इस बातचीत के जरिए दोनों पक्ष संबंधों में सुधार की उम्मीद जता रहे हैं।इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं, जो ट्रंप के करीबी और अमेरिका के चीफ नेगोशिएटर हैं। भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल विशेष सचिव, वाणिज्य मंत्रालय, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा, "अमेरिकी टीम मंगलवार को भारतीय वार्ताकारों से मिलेगी। इसके बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। यह छठा दौर नहीं बल्कि व्यापारिक चर्चा का हिस्सा है।" वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सकारात्मक और उपयोगी बातचीत की उम्मीद है।
भारत-अमेरिका के बीच मार्च 2025 से अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है।
26-29 मार्च : पहली बातचीत
2 अप्रैल : ट्रंप ने सभी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ की घोषणा की; भारत पर कुल 26% टैरिफ लगा।
5 अप्रैल : बेसलाइन टैरिफ लागू
21 अप्रैल : पीएम मोदी की जेडी वेंस के साथ मुलाकात
14-18 जुलाई : पांचवें दौर की बातचीत के बाद टैरिफ और बढ़ा दिया गया।
ट्रंप ने भारत पर क्यों लगाया 50% टैरिफ
छठे दौर की वार्ता टैरिफ विवाद की वजह से स्थगित हो गई थी। ट्रंप ने पहले 25% टैरिफ लगाया और बाद में रूस से तेल खरीदने के कारण अतिरिक्त 25% टैरिफ बढ़ा दिया। इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ गई और ट्रेड डील पर चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई।