सहारा इंडिया में फंसे पैसों का इंतजार कर रहे निवेशकों का सब्र अब टूटने लगा है। सालों से अपनी मेहनत की कमाई की वापसी का इंतजार कर रहे निवेशक अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि कब उन्हें ब्याज समेत उनके पैसे मिलेंगे। लोग इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। सहारा निवेशकों ने सोशल मीडिया के जरिए अपना गुस्सा जाहिर किया। एक यूजर राज के दास कहते हैं कि 2 महीने से ऑनलाइन अप्लाई किया है लेकिन एक भी पैसे नहीं आया है। तो वहीं एक यूजर बैजनाथ मौर्य कहते हैं कि तीन बार ऑनलाइन किया है लेकिन एक भी बार पैसा नहीं आया है। लोगों ने ऐलान किया है कि वे आगे भी धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं इससे पहले सुनवाई के दौरान सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को बताया कि, दोनों व्यावसायिक संस्थाओं ने एक टर्म शीट पर हस्ताक्षर करके उसे एक सीलबंद लिफाफे में रख दिया है। उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलते ही इस सौदे को आगे बढ़ाया जाएगा और इससे मिलने वाली राशि सहारा समूह के बकाये से कहीं ज्यादा होगी।
अडानी ग्रुप की पेशकश
इस डील को सपोर्ट करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अडानी ग्रुप सहारा की इन संपत्तियों को एक बार में खरीद लेगा। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने का इंतजार किया जा रहा है जिसके बाद डील पर आगे बात बढ़ेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि टर्म शीट सीलबंद लिफाफे में रखकर दे दी गई है।
सहारा समूह की संपत्तियों की खरीद
यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि सहारा ग्रुप की 88 संपत्तियों की खरीद के लिए अडानी ग्रुप की तरफ से कितनी रकम की पेशकश की जा रही है।
सरकार की पहल
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि सरकार ने सेबी-सहारा अकाउंट से निवेशकों का पैसा लौटाने का प्रोसेस शुरू कर दिया है। शेखर नफड़े ने कहा कि सहारा समूह की दो कंपनियों - सहारा हाउसिंग और सहारा रियल एस्टेट - को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी-सहारा खाते में लगभग पच्चीस हजार करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था जिसमें से कंपनी ने अभी तक नौ हजार चार सौ इक्यासी करोड़ रुपये जमा नहीं किए हैं।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को फिर से होगी। तब अदालत तय करेगी कि अडानी प्रॉपर्टीज को प्रस्तावित बिक्री की मंजूरी दी जाए या नहीं। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े को न्यायमित्र नियुक्त किया है। उन्हें सहारा ग्रुप की बेचे जाने वाली 88 संपत्तियों की एक लिस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी गई है। इनमें से कौन सी संपत्तियां विवाद मुक्त हैं इसकी भी एक लिस्ट बनानी होगी ताकि अगर किसी पर कानूनी या तीसरे पक्ष का दावा हो तो वह सामने आ जाए। सरकार ने सहारा इंडिया के निवेशकों के लिए रिफंड पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के माध्यम से निवेशक अपने फंसे हुए पैसे को वापस पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सरकार ने पहले चरण में 10,000 रुपये तक की राशि वापस करने की घोषणा की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया। अब सरकार 5 लाख रुपये तक के दावों के लिए फिर से आवेदन स्वीकार कर रही है। इन दावों का निपटारा 45 कार्यदिवसों के भीतर किया जाएगा। निवेशक अपना नाम लिस्ट में चेक कर सकते हैं और अपना रिफंड स्टेटस ऑनलाइन देख सकते हैं। इसके लिए उन्हें आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और अपने आधार नंबर या रजिस्ट्रेशन आईडी का उपयोग करके अपना स्टेटस चेक करना होगा। सहारा इंडिया रिफंड पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए निवेशकों को कुछ स्टेप्स फॉलो करने होंगे। उन्हें सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा, फिर डिपॉजिटर रजिस्ट्रेशन ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। इसके बाद उन्हें अपनी जानकारी भरनी होगी और ओटीपी के माध्यम से वेरिफाई करना होगा।