दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए ‘क्लाउड सीडिंग' (कृत्रिम वर्षा) बहुत जरूरी है, क्योंकि यह सर्दी के मौसम में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। बृहस्पतिवार को किए गए इस सफल प्रायोगिक परीक्षण के बारे में गुप्ता ने कहा, ‘‘‘क्लाउड सीडिंग' ऐसी चीज है जो पहले कभी नहीं हुई। हम शहर भर में यह परीक्षण करना चाहते हैं, क्योंकि यह वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।” उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि यह तकनीक सफल होगी। इसका उपयोग भविष्य में पर्यावरणीय चुनौतियों, खासकर सर्दियों के महीनों में सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए किया जा सकता है।”
गुप्ता ने बृहस्पतिवार रात 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि इस परियोजना का सफल परीक्षण बुराड़ी क्षेत्र में किया गया। उन्होंने लिखा, "दिल्ली में पहली बार ‘क्लाउड सीडिंग' के जरिए कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारी पूरी हो चुकी है, जो राजधानी की वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में मील का एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय पत्थर है। विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को बुराड़ी क्षेत्र में एक परीक्षण सफलतापूर्वक किया।" अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान, कृत्रिम वर्षा कराने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले यौगिकों – सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड – की थोड़ी मात्रा एक विमान से छिड़की गई थी। हालांकि, उस समय हवा में नमी 20 प्रतिशत से भी कम थी। ‘क्लाउड सीडिंग' के लिए आमतौर पर लगभग 50 प्रतिशत नमी की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि क्षेत्र में कोई बारिश नहीं हुई। भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर ने परीक्षण पर अपनी रिपोर्ट में कहा, “इस उड़ान ने ‘क्लाउड सीडिंग' की क्षमताओं, विमान की तैयारी और सहनशक्ति, सीडिंग उपकरण और ‘फ्लेयर्स' की कार्यक्षमता और इसमें शामिल सभी एजेंसियों के बीच समन्वय का आकलन करने के लिए एक प्रमाणन अभियान के रूप में काम किया।”
रिपोर्ट में कहा गया, "वर्षा का कोई प्रमाण नहीं है, क्योंकि बादलों का आवरण न्यूनतम था और नमी की मात्रा 15 प्रतिशत से काफी नीचे थी," रिपोर्ट में यह भी नोट किया गया कि सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड दोनों को जारी करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए ‘फ्लेयर्स' का उपयोग किया गया था। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि इस उड़ान ने ‘क्लाउड सीडिंग' प्रणाली की क्षमताओं, विमान की सहनशक्ति और सभी सहभागी एजेंसियों के बीच समन्वय का आकलन करने के लिए एक प्रमाणन अभियान के रूप में कार्य किया। आईआईटी-कानपुर और दिल्ली सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस क्लाउड-सीडिंग परियोजना का उद्देश्य दीवाली के बाद ‘स्मॉग' के मौसम में शहर में कणिका प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कृत्रिम वर्षा को एक विधि के रूप में तलाशना है।
पिछले महीने, दिल्ली सरकार ने पांच क्लाउड-सीडिंग परीक्षणों के लिए आईआईटी-कानपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिनके उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में होने की उम्मीद है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) सहित कई विभागों द्वारा अनुमोदित इस परियोजना का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या कृत्रिम वर्षा सर्दियों के दौरान बढ़ते प्रदूषण के स्तर से निपटने के लिए एक व्यवहार्य समाधान हो सकती है। आईआईटी-कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग को सेसना 206-एच विमान (वीटी-आईआईटी) का उपयोग करके यह गतिविधि संचालित करने के लिए विमान नियम, 1937 के नियम 26(2) के तहत अनुमति दी गई है। दिल्ली मंत्रिमंडल ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत पर पांच ‘क्लाउड-सीडिंग' परीक्षण आयोजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।