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राष्ट्रीय

प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन यात्रा से भारत–जॉर्डन संबंधों को नई मजबूती

18 दिसंबर, 2025 05:35 PM

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 से 18 दिसंबर, 2025 तक जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह 15 और 16 दिसंबर, 2025 को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में थे। उन्होंने 15 दिसंबर, 2025 को जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय के साथ विस्तृत बातचीत की। यह उनका जॉर्डन का पहला पूर्ण द्विपक्षीय दौरा है। वह इससे पहले फरवरी, 2014 में फलस्तीन जाते समय रास्ते में जॉर्डन में रुके थे।

भारत और जॉर्डन के संबंधों की जड़ें दशकों की कूटनीतिक सद्भावना, संगठित राजनीतिक वार्ताओं और लगातार बढ़ते आर्थिक सहयोग में हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध की शुरुआत 1950 में हुई थी जो अब एक परिपक्व साझीदारी में तब्दील हो चुका है। नेतृत्व के स्तर पर नियमित संवाद, संस्थागत तंत्र और क्षेत्रीय सहयोग से इस साझीदारी को बल मिला है। व्यापार और आर्थिक सहयोग इस संबंध का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार भारत ही है। भारत अनाजों, प्रशीतित मांस, पेट्रोलियम उत्पादों और पशु चारे का जॉर्डन को निर्यात करता है। वह खास तौर से फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों का जॉर्डन से आयात करता है। दीर्घकालिक संयुक्त उपक्रमों की शुरुआत और जॉर्डन में भारत के स्वामित्व वाली मैनुफैक्चरिंग इकाइयों का संचालन दोनों देशों के बीच गहरे वाणिज्यिक संबंध को प्रतिबिंबित करता है। विदेश कार्यालय स्तर के विचार विमर्श समेत उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद तथा शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को गति मिलती है।

भारत-जॉर्डन द्विपक्षीय संबंध

भारत और जॉर्डन के बीच आपसी सम्मान पर आधारित एक प्रगाढ़ रिश्ता है। दोनों देशों के बीच सहयोग और दोस्ताना संबंधों के लिए पहले समझौते पर 1947 में हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद, 1950 में दोनों के बीच राजनयिक संबंधों को औपचारिक रूप दिया गया। इस वर्ष भारत और जॉर्डन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है।

उच्च स्तरीय राजनीतिक विचार-विमर्श

इस संबंध की बुनियाद उच्च स्तरीय आदान-प्रदानों के जरिए तैयार हुई। प्रधानमंत्री फरवरी, 2018 में फलस्तीन की अपनी यात्रा के दौरान जॉर्डन में रुके। इसके बाद शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने 27 फरवरी से 1 मार्च, 2018 तक भारत का राजकीय दौरा किया। उनकी इस यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ताएं हुईं और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की एक गोलमेज बैठक आयोजित की गई। इसके अलावा ‘इस्लामी विरासतः समझ और संयम को प्रोत्साहन’ पर सम्मेलन में संयुक्त संबोधन हुआ और 12 करारों/समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी प्रोफेशनलों के पांच वर्षों तक प्रशिक्षण के लिए जॉर्डन में सी-डैक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना तथा औषधियों और टीकों के वास्ते 50 लाख अमेरिकी डॉलर के सहायता पैकेज की घोषणा भी की गई।

इसके बाद, दोनों नेताओं के बीच अनेक अवसरों पर बातचीत हुई। दोनों ने इटली के अपूलिया में जून, 2024 में जी-7 के शिखर सम्मेलन और दुबई में दिसंबर, 2023 में कोप 28 में मुलाकात की। इससे पहले वे अक्टूबर, 2019 में रियाद में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनीशिएटिव और सितंबर, 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र महासभा की 74वीं बैठक के दौरान भी मिले।

24 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई। जॉर्डन के शाह ने इस हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के प्रति अपना समर्थन दोहराया। दोनों नेताओं ने अक्टूबर, 2023 में गाजा के घटनाक्रम पर टेलीफोन के माध्यम से बातचीत करते हुए आतंकवाद, हिंसा और नागरिकों की मौतों को लेकर साझा चिंता जाहिर की।

2025 में संगठित राजनयिक विमर्शों से भारत और जॉर्डन के संबंधों को मजबूती मिली। भारत-जॉर्डन विदेश कार्यालय स्तरीय विचार-विमर्श का चौथा दौर 29 अप्रैल, 2025 को अम्मान में आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता भारतीय सचिव (सीपीवी और ओआईए) तथा जॉर्डन के विदेश मामले और प्रवासी मंत्रालय के महासचिव ने संयुक्त रूप से की। इसके बाद 02 सितंबर, 2025 को स्वास्थ्य में सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह की बैठक का दूसरा दौर आभासी ढंग से आयोजित किया गया। इस बैठक में भारतीय औषधिकोश को स्वीकार कर उसे मान्यता दिए जाने, औषधियों, टीकों और चिकित्सा उपकरणों के नियमन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तथा असंचारी रोगों पर विस्तृत बातचीत हुई। भारतीय सचिव (दक्षिण) की 13 से 15 अक्टूबर, 2025 तक जॉर्डन यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को और गति मिली। उन्होंने इस यात्रा के दौरान जॉर्डन के महासचिव दैफल्ला अली अल फयेज से मुलाकात की तथा महानिदेशक (एशिया और ओसनिया मामले) मोहम्मद अबु वेंडी के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर उनकी सार्थक बातचीत हुई।

जॉर्डन के विदेश मंत्री ऐमान सफादी ने दिसंबर, 2017 में भारत का दौरा किया। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार  अजित कुमार डोवाल जनवरी, 2020 में जॉर्डन गए। भारतीय विदेश मंत्री और  सफादी के बीच जनवरी और अक्टूबर, 2020 में द्विपक्षीय मामलों और कोविड 19 का मुकाबला करने में सहयोग पर टेलीफोन के जरिए बातचीत हुई।

व्यापार और आर्थिक सहयोग

भारत और जॉर्डन के बीच आर्थिक संबंध काफी मजबूत हुए हैं और द्विपक्षीय व्यापार में ठोस वृद्धि देखने को मिली है। जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार भारत ही है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और जॉर्डन के बीच कुल व्यापार 2.875 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। इस दौरान भारत से जॉर्डन को निर्यात 1.465 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा। आपसी व्यापार में इस बढ़ोतरी में व्यापारिक और आर्थिक संयुक्त समिति का बड़ा योगदान रहा। इस समिति का गठन 1976 के व्यापार समझौते के अंतर्गत किया गया था। समुद्री अर्थव्यवस्था तथा अन्य क्षेत्रों पर कार्य समूहों जैसे विचार-विमर्श के मंचों ने भी दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मुख्य आर्थिक एवं व्यापारिक पहलें/मुख्य बातें

  • भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) और जॉर्डन फॉस्फेट माइंस कंपनी के बीच जॉर्डन इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी नामक एक संयुक्त उद्यम शुरू किया गया। इस उद्यम का मूल्य 860 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह उद्यम भारत के लिए फॉस्फोरिक एसिड का एक प्रमुख स्रोत है। जॉर्डन भारत को उर्वरकों की विशेष रूप से फॉस्फेट और पोटाश  की आपूर्ति करता है।
  • अतीत में, एक संयुक्त उद्यम भारत-जॉर्डन केमिकल कंपनी (जॉर्डन फॉस्फेट माइंस कंपनी और साउदर्न पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन) द्वारा संचालित एक फॉस्फोरिक एसिड संयंत्र स्थापित किया गया था। इस संयंत्र को 169.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ अधिकृत किया गया था। इसका अधिकांश उत्पादन भारत को निर्यात किया जाता है।
  • मई 2022 में, जेपीएमसी ने भारतीय कंपनियों के साथ 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के फॉस्फेट समझौते किए। कई भारतीय फॉस्फेट/फॉस्फेट-उर्वरक कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन और समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिसका कुल मूल्य 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अरब पोटाश कंपनी और इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) ने भारतीय बाजार में सालाना 275,000-325,000 टन के बीच आपूर्ति के लिए पांच साल के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के स्वामित्व वाली 15 से अधिक परिधान-निर्माण कंपनियां जॉर्डन के योग्य औद्योगिक क्षेत्रों (क्यूआईजेड) में काम करती हैं, जिनका संचयी निवेश लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। ये कंपनियां जॉर्डन में परिधान बनाती हैं और जॉर्डन-यूएसए एफटीए ढांचे के तहत तैयार उत्पादों को जॉर्डन के बाहर निर्यात करती हैं।
  • 2025 में, भारत-जॉर्डन की मुख्य आर्थिक पहलों में ये शामिल थे: 5 फरवरी 2025 को (जॉर्डन सोसाइटी ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल एजेंट्स के सहयोग से) एक पर्यटन संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें मध्य प्रदेश को एक डेस्टिनेशन के तौर पर दिखाया गया और जॉर्डन और भारत के बीच सीधी उड़ानों की घोषणा की गई; 19 फरवरी 2025 को जॉर्डनियन बिजनेसमैन एसोसिएशन और अन्य हितधारकों के साथ निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इनके अलावा, राजनयिक मिशन ने अम्मान में तीसरे अंतरराष्ट्रीय फूड एंड फूड टेक्नोलॉजी एक्सपो (12-14 अगस्त 2025) में भारतीय कंपनियों की भागीदारी का भी स्वागत किया।
  1. रक्षा संबंध

भारत और जॉर्डन ने 2018 में रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। 2024 में, तीन सदस्यीय भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रतिनिधिमंडल ने अकाबा में विशेष ऑपरेशन बल प्रदर्शनी और सम्मेलन में भाग लिया। जॉर्डन के रॉयल नेवी प्रतिनिधिमंडल ने भी भारत का दौरा किया। उन्होंने दक्षिणी नौसेना कमान कोच्चि और भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला का दौरा किया। यह यात्रा 29 अप्रैल से 4 मई 2024 तक की गई।

  1. विज्ञान और टेक्नोलॉजी

अल-हुसैन टेक्निकल यूनिवर्सिटी में अगली पीढ़ी की आईटी सुविधा के रूप में भारतीय-जॉर्डन सूचना प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन 02 अक्टूबर 2021 को किया गया था। यह केंद्र अत्याधुनिक आईटी अवसंरचना से लैस है, जिसमें सुपर कंप्यूटर परम शावक और उन्नत प्रशिक्षण सुविधाएँ शामिल हैं। यह केंद्र पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। इसकी स्थापना मार्च 2018 में महामहिम किंग अब्दुल्ला-द्वितीय की भारत यात्रा के दौरान एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद की गई थी। इसका उद्देश्य जॉर्डन में प्रीमियम क्षेत्रों में सॉफ्टवेयर विशेषज्ञता को विकसित और मजबूत करना है। भारत सरकार साइबर सिक्योरिटी, वेब डेवलपमेंट, मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में जॉर्डन के विशेषज्ञों के लिए उभरते हुए क्षेत्रों में मास्टर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करती है जो बदले में आईजेसीओईआईटी में जॉर्डन के युवाओं को प्रशिक्षण  देते हैं। उम्मीद है कि इस केंद्र में 3000 जॉर्डन के विशेषज्ञ/पेशेवरों को प्रशक्षित किया जाएगा। अम्मान में आयोजित जॉर्डन के साथ विदेशी कार्यालय परामर्श के चौथे दौर के दौरान, सचिव (सीपीवी और ओआईए) और संयुक्त सचिव (डब्ल्यूएएनए) ने अल-हुसैन टेक्निकल यूनिवर्सिटी में भारत-जॉर्डन आईटी उत्कृष्टता केंद्र का दौरा किया।

  1. शिक्षा और अवाम के बीच संबंध

भारत और जॉर्डन शिक्षा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में अपने संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। भारत के पास दुनिया की सबसे बेहतर उच्च शिक्षा प्रणाली है, जिसमें आईआईटी, आईआईएम और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं। जॉर्डन के छात्रों के लिए भारत एक लोकप्रिय अध्ययन स्थल है। विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के तहत जॉर्डन के लिए 50 सीटें रखी गई हैं। जॉर्डन के 2,500 से अधिक छात्रों ने भारतीय विश्वविद्यालयों से स्नातक किया है। 2024-25 में, जॉर्डन ने 37 नागरिक आईटीईसी सीटों, 4 विशेष कार्यकारी कार्यक्रमों और 5 आईसीसीआर छात्रवृत्तियों का उपयोग किया। मार्च 2018 में किंग अब्दुल्ला द्वितीय की भारत यात्रा के दौरान, भारत और जॉर्डन के बीच एक कार्यबल समझौता  किया गया और राजनयिक एवं आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीज़ा-मुक्त यात्रा पर सहमति हुई। वर्तमान में लगभग 17,500 भारतीय नागरिक जॉर्डन में रहते हैं, जो ज्यादातर कपड़ा, निर्माण, विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवा, नर्सिंग, विश्वविद्यालयों, आईटी, वित्तीय कंपनियों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों में काम करते हैं। जॉर्डन 2009 से भारतीय पर्यटकों को आगमन पर वीज़ा और 2023 से ई-वीज़ा प्रदान करता है।

  1. सांस्कृतिक आदान-प्रदान

भारत और जॉर्डन के बीच मधुर सांस्कृतिक संबंध हैं। भारतीय संस्कृति, विशेषकर बॉलीवुड फिल्मों के प्रति जॉर्डन में गहरी रुचि है। दोनों देशों के बीच नियमित आधार पर नृत्य और संगीत से जुड़े सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साथ ही योग दिवस पर भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हाल ही में, जुलाई 2024 में, आईसीसीआर द्वारा प्रायोजित “नटराज सांस्कृतिक शिल्पी समाज” सांस्कृतिक दल ने जॉर्डन के प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव, 38वें जेरश संस्कृति और कला महोत्सव में असमिया लोक नृत्य प्रस्तुत किया।

प्रधानमंत्री की यात्रा का परिणाम

15 दिसंबर, 2025 को प्रधानमंत्री जॉर्डन के अम्मान पहुंचे, जहां जॉर्डन के प्रधानमंत्री डॉ. जफर हसन ने उनका गर्मजोशी से विधिवत औपचारिक समारोह में स्वागत किया जो दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को दिखाता है। यह यात्रा प्रधानमंत्री के तीन देशों के दौरे (जॉर्डन, इथियोपिया, ओमान) का पहला चरण है। यह पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा 37 वर्षों के बाद हो रही है और यह दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन की अपनी यात्रा के दौरान महामहिम किंग अब्दुल्ला द्वितीय और अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधियों से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश के क्षेत्र में द्विपक्षीय जुड़ाव को और प्रगाढ़ करने; रक्षा और सुरक्षा; नवीकरणीय ऊर्जा; उर्वरक और कृषि; नवाचार, आईटी और डिजिटल प्रौद्योगिकियां; महत्वपूर्ण खनिज; आधारभूत संरचना; स्वास्थ्य और फार्मा; शिक्षा और क्षमता; पर्यटन और विरासत; और संस्कृति और अवाम के स्तर पर आपसी संबंधों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव रखा कि दोनों देशों को अगले 5 सालों में द्विपक्षीय व्यापार को 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने जॉर्डन के डिजिटल पेमेंट सिस्टम और भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) के बीच सहयोग का भी आह्वान किया। जॉर्डन भारत को उर्वरक की आपूर्ति करने वाला एक महत्वपूर्ण देश है। दोनों देशों की कंपनियों के बीच भारत में फॉस्फेटिक उर्वरक की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जॉर्डन में और ज्यादा निवेश पर बातचीत जारी है।

दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए एक-दूसरे की सराहना की और आपसी समर्थन व्यक्त किया। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की। उन्होंने क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रमों और अन्य वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के महत्व को दोहराया।

भारत और जॉर्डन के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन

  1. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर समझौता ज्ञापन
  2. जल संसाधन प्रबंधन एवं विकास के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन
  3. पेट्रा और एलोरा के बीच ट्विनिंग समझौता

4.वर्ष 2025-2029 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम का नवीनीकरण

5.डिजिटल रूपांतरण के लिए जनसंख्या स्तर पर कार्यान्वित सफल डिजिटल समाधानों को साझा करने के क्षेत्र में सहयोग पर आशय पत्र

भारत-जॉर्डन संबंध दर्शाते हैं कि कैसे निरंतर राजनीतिक जुड़ाव मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के लिए आर्थिक और अन्य परिणामों को सुदृढ़ करता है। नियमित परामर्श, नेतृत्व-स्तर की बैठकें और क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद-रोधी सहयोग पर साझा दृष्टिकोण ने दोनों देशों की साझेदारी को रणनीतिक रूप से प्रगाढ़ किया है। हाल की उच्च-स्तरीय यात्रा के परिणामों से आपसी संबंधों को और मजबूती  मिलेगी। जैसे-जैसे भारत का पश्चिम एशिया के प्रति जुड़ाव गहरा हो रहा है, वैसे में जॉर्डन की भूमिका आर्थिक और राजनीतिक भागीदार के रूप में महत्वपूर्ण हो जाती है, जो विश्वास, व्यापार और रणनीतिक साझीदारी पर बने संतुलित संबंधों को दर्शाती है।

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