इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत पिछले पांच वर्षों में बिजली उत्पादन क्षमता में सबसे तेज वृद्धि दर्ज करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर रहा है। वहीं भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका हैं। IEA ने कहा कि भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसकी वजह है शहरी और ग्रामीण इलाकों में तेजी से निर्माण, घरों में एयर कंडीशनर और अन्य उपकरणों का बढ़ता उपयोग, और औद्योगिक क्षेत्रों की ऊर्जा जरूरतें हैं। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश ने सभी ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन में तेजी से विस्तार किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस विकास का प्रमुख कारण रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) पर दिया गया जोर है। खासकर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश देखने को मिला है। पिछले पांच वर्षों में भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन (Non-Fossil Fuel) में हुए कुल निवेश का आधे से अधिक हिस्सा सिर्फ सौर ऊर्जा परियोजनाओं में हुआ। वहीं 2024 में देश के बिजली क्षेत्र में कुल निवेश का 83% हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) परियोजनाओं में गया। इसके साथ ही, भारत 2024 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस (DFI) से सबसे ज्यादा वित्तीय सहायता पाने वाला देश बना। भारत को इस क्षेत्र में लगभग 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना-आधारित फंडिंग मिली।
इसके अलावा, भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। 2023 में बिजली क्षेत्र में FDI 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो COVID-19 महामारी से पहले के स्तर से लगभग दोगुना है। गौरतलब है कि यह वृद्धि सरकार की 100 फीसदी FDI नीति के कारण संभव हो पाई है, जो परमाणु ऊर्जा को छोड़कर बाकी सभी बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन क्षेत्रों में लागू होती है।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले दो वर्षों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में गिरावट आई है, जिसका कारण वैश्विक आर्थिक स्थिति और ऊर्जा क्षेत्र की कुछ चुनौतियां हैं। फिर भी, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र निवेश के लिए सकारात्मक बना हुआ है। IEA की इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत न केवल बिजली उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है, बल्कि साफ और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में भी दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है।-(Input with ANI)