कोलंबो बंदरगाह से मुंबई के न्हावा शेवा की ओर जा रहे सिंगापुर के ध्वज वाले कंटेनर पोत एमवी वान हाई-503 में सोमवार सुबह कोच्चि में बेपोर के तट से 88 समुद्री मील दूर विस्फोट के बाद आग लग गई। भारतीय नौसेना ने भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) बल के साथ मिलकर चालक दल के 18 सदस्यों को बचाया।
सिंगापुर से यह कंटेनर पोत 06 जून को हुआ था रवाना
इस संबंध में आईसीजी के कमांडर अमित उनियाल ने बताया कि सिंगापुर के ध्वज वाला कंटेनर पोत एमवी वान हाई-503 श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह से 06 जून को रवाना हुआ था, जिसे 09 जून को मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पहुंचना था। इस जहाज पर कुल 22 चालक दल के सदस्यों के साथ कंटेनर कार्गो थे।
विस्फोट के समय जहाज बेपोर तट से था करीब 88 समुद्री मील दूर
कोलंबो से न्हावा शेवा की ओर जा रहे जहाज ने सोमवार सुबह लगभग 09.30 बजे डेक के नीचे विस्फोट होने और बाद में आग लगने की सूचना दी। उस समय यह जहाज बेपोर के तट से 88 समुद्री मील दूर था। इसके बाद तत्काल भारतीय तटरक्षक के तीन जहाजों को मौके की ओर रवाना किया गया।
आईसीजी के मुताबिक न्यू मंगलौर से आईसीजीएस राजदूत, कोच्चि से आईसीजीएस अर्नवेश और अगत्ती से आईसीजीएस सचेत को सहायता के लिए डायवर्ट करके चालक दल से संपर्क किया गया। दोपहर 12.40 बजे तक जहाज के अन्य कंटेनरों में भी आग लग गई, तो चालक दल के सदस्य जहाज छोड़कर लाइफ राफ्ट पर सवार हो गए।
भारतीय नौसेना ने सहायता के लिए आईएनएस सूरत और एक डोर्नियर विमान को किया तैनात
भारतीय नौसेना ने आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत आईएनएस सूरत और एक डोर्नियर विमान को तैनात किया। मुंबई के आईसीजी समुद्री बचाव समन्वय केंद्र ने एमवी वन मार्वल को भी भेजा, जिससे चालक दल के 18 सदस्य बच गए, जिसमें एक को गंभीर चोटें आई हैं। घायल क्रू सदस्यों को प्राथमिक उपचार दिया गया है। वहीं विस्फोट के समय से चालक दल के 04 सदस्य लापता हैं, जिनमें 02 ताइवानी, 01 इंडोनेशियाई और 01 म्यांमार के हैं।
आईसीजी के मुताबिक जहाज पर लगी आग की प्रकृति और अग्निशमन कार्यों के दौरान संभावित जोखिमों का पता लगाने के लिए जहाज पर मौजूद कार्गो के बारे में पता लगाया जा रहा है। आईसीजी डीजी शिपिंग, राज्य प्रशासन और जहाज मालिकों के साथ समन्वय बनाए हुए है, ताकि उभरती स्थिति के लिए प्रतिक्रिया योजना तैयार की जा सके। संकट में फंसे चालक दल के सदस्यों की जान बचाना, आग बुझाना और पर्यावरण संबंधी खतरे को कम करना तटरक्षक बल की प्राथमिकता है।