हिसार : घरेलू राम हत्याकांड मामले में ही मनाने के दोनों अपराधियों को दो महीने की अंतरिम ज़मानत दी गई है। रेलूराम पूनिया के भतीजे जितेंद्र ने कहा कि सोनिया व संजीव ने 2001 वे जो हत्या नहीं की थी उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई थी। देरी होने की वजह से इनकी फाँसी की सज़ा टाल दी गई थी अब इन्हें दो महीने की रिहाई दी गई है। जेल से बाहर आने के बाद एक बार फिर किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं जिसका हमें डर है। हमारे परिवार के ऊपर ये हमला कर सकते हैं। जितेंद्र ने कहा कि अब हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे हम प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हैं कि हमें सुरक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने बताया कि कल हमारे घर के पास लोगों से भरी हुई दो गाड़ियां आयी थी जिसमें हथियार रखे हुए थे। हिसार के पुलिस अधीक्षक से मिलकर हम सुरक्षा की माँग करेंगे।
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि प्रभुवाला ग्राम हत्याकांड मामला 23 अगस्त 2001 का है जिसमें तत्कालीन विधायक रेलु राम की बेटी व दामाद ने रेलु राम उनकी पत्नी सहित आठ लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस केस की सुनवाई हिसार की ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गई थी जहाँ उन्होंने उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई थी। संजीव पर सोनिया ने अपनी फाँसी के लिए दया याचिका दाख़िल की थी जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का प्रणब मुखर्जी ने ख़ारिज कर दिया था। दया याचिका में देरी होने को कारण मानते हुए सुप्रीम कोर्टने फाँसी को उम्रक़ैद में बदल दिया था।
लाल बहादुर कोवान ने बताया कि दोनों अपराधियों ने जेल में रहते हुए भी अनेक अपराध किए हैं इसकी वजह से इनके ऊपर एफ़आइआर भी दर्ज की गई थी। 2024 में दोनों ही अपराधियों ने हाईकोर्ट में प्रीमैच्योर रिहाई के लिए पिटीशन दायर की थी। ।उसमें अब दोनों को दो महीने की अंतरिम ज़मानत दी गई है। अब परिवार की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में SLP डालने की तैयारी की जा रही है। एडवोकेट लाल बहादुर को वाल ने कहा कि परिवार की तरफ़ से बताया गया है कि कुछ संदिग्ध लोग हथियारों के साथ दो गाड़ियों में बैठकर घर तक पहुँचे थे।यह एक बड़ा गंभीर मामला है और उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी दोनों अपराधियों को दो महीने की अंतरिम ज़मानत मिली हैं।दो महीने बाद पाँच लोगों की कमेटी फ़ैसला लेगी कि इन्हें पूर्ण रिहाई दी जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि रेल व हत्याकांड मामले को लेकर लोगों में 2001 में भी रोष था और आज भी रोष है।