नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि आज की पीढ़ी अदालत के तौर-तरीके (कोर्ट क्राफ्ट) नहीं सीखना चाहती। न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब एक युवा वकील अदालत का आदेश पढ़े जाते समय बहुत सामान्य तरीके से वहां से जाने लगीं। जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो वकील ने अदालत से कहा कि कार्य स्थगन के लिए एक पत्र वितरित किया गया है। जब पीठ ने आदेश पढऩा शुरू किया, तो वह वहां से जाने लगीं। पीठ ने इस पर नाखुशी जताते हुए कहा कि युवा पीढ़ी अदालत के तौर-तरीके नहीं सीखना चाहती। मामलों को पढऩा केवल 30 प्रतिशत है, बाकी 70 प्रतिशत अदालत के तौर-तरीके हैं। बता दें कि मामला मार्च का है। दिल्ली के एक कोर्ट में सुनवाई के बीच वादी सुशील कुमार वीडियो कान्फ्रेंस के दौरान सिगरेट पीने लगे। तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश शिव कुमार सुनवाई कर रहे थे।
कोर्ट ने सुशील कुमार से सवाल किया है कि कोर्ट की कार्यवाही के बीच वीसी पर सिगरेट पीने के लिए आपके खिलाफ ऐक्शन क्यों न लिया जाए? आदेश में कहा गया है कि जब दूसरे मामलों की सुनवाई चल रही थी, तब कुमार को फोन पर बात करते हुए देखा गया था। तब उन्हें ऐसा न करने की चेतावनी दी गई थी, क्योंकि इससे अदालत की कार्यवाही पर असर पड़ रहा था। हालांकि, उन्होंने कोर्ट की आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया और उसके बाद उनका ऑडियो म्यूट कर दिया गया। जब उनके केस पर सुनवाई शुरू हुई, तो इस बर्ताव के बारे में पूछा गया। उन्होंने अदालत से माफी मांगी और दोबारा ऐसा नहीं करने का वादा किया।