मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर संसद में आज व्यापक बहस हुई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के तय कार्यक्रम के अनुसार, लोकसभा में चुनाव सुधारों पर विस्तार से चर्चा जारी रही। विपक्ष ने SIR प्रक्रिया से जुड़े अनेक सवाल उठाते हुए सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की। वहीं, राज्यसभा में आज वंदे मातरम् विषय पर विशेष चर्चा रखी गई, जिसमें सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पक्ष प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि सोमवार को लोकसभा में भी वंदे मातरम् पर बहस हो चुकी है।
“वंदे मातरम् सिर्फ बंगाल या देश तक सीमित नहीं” - अमित शाह
राज्यसभा में वक्तव्य देते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोग इस विषय को बंगाल में होने वाले आगामी चुनावों से जोड़कर इसकी गंभीरता को कम करके दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह सच है कि वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल के थे और आनंद मठ की शुरुआत भी बंगाल से हुई, लेकिन वंदे मातरम् न तो सिर्फ बंगाल तक सीमित रहा और न ही केवल भारत की सीमाओं में बंधा। जब कोई सैनिक सीमा पर या कोई पुलिसकर्मी देश के भीतर अपने प्राणों की आहुति देता है, तो वह वंदे मातरम् का ही उद्घोष करता है।”
“वंदे मातरम् पर चर्चा हमेशा जरूरी”
अमित शाह ने बताया कि लोकसभा में कुछ सदस्यों ने पूछा कि वंदे मातरम् पर चर्चा की आवश्यकता क्यों है। इस पर उन्होंने कहा कि इसकी प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है जितनी स्वतंत्रता संग्राम के काल में थी। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् पर चर्चा की जरूरत, इसके प्रति समर्पण की जरूरत तब भी थी, और आज भी उतनी ही है। वर्ष 2047 के लिए हमने जो उज्ज्वल भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके संदर्भ में भी यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण बना रहेगा।”
“वंदे मातरम् राष्ट्रभक्ति की भावना का प्रतीक”
अपने संबोधन में गृह मंत्री ने वंदे मातरम् को देशभक्ति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सशक्त आधार बताया। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् देश के प्रति भाव का प्रतीक है। यह सिर्फ किसी भूमि का वर्णन नहीं, बल्कि हमारी मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव है। यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना को व्यक्त करता है।” संसद में आज हुई इन चर्चाओं ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि चुनावी सुधारों से लेकर राष्ट्रीय प्रतीकों तक, कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार और विपक्ष आमने–सामने हैं, और आने वाले दिनों में इस बहस का दायरा और गहराने की संभावना है।