नई दिल्ली ; ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह मात खा चुके पाकिस्तान की एक और करतूत सामने आई है। पाकिस्तान ने आदमपुर और भुज एयरबेस पर हमले का दावा किया था। अब सामने आई तस्वीरों में पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है। दरअसल, पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के आदमपुर एयरबेस पर सुखोई-30, भुज एयरबेस पर एस-400 को नुकसान पहुंचाया है। उसने अपने दावे का समर्थन करने के लिए सेटेलाइट इमेज से छेड़छाड़ कर नकली तस्वीरें साझा की थीं। इस पर शीर्ष इमेजरी विश्लेषक डेमियन साइमन ने पाकिस्तान की पोल खोल दी है। साइमन ने बताया कि कैसे पाकिस्तान ने चीनी सेटेलाइट फर्म की मदद से ली गई तस्वीरों से छेड़छाड़ और हेरफर कर झूठी तस्वीरें पूरी दुनिया को दिखाईं। साइमन ने कहा कि समीक्षा करने पर पता चला कि ये तस्वीर संघर्ष से पहले की है। इन तस्वीरों में नियमित रखरखाव से गुजर रहे मिग-29 को दिखाया गया था। इंजन के बार-बार परीक्षण के चलते मौके पर कालिख बनी थी, जबकि पाकिस्तान का कहना था कि यह राख हमले के बाद की है। इसी तरह भुज में भारतीय एस-400 राडार सिस्टम को नष्ट करने का दावा करते हुए पाकिस्तान ने एक और तस्वीर प्रसारित की।
तस्वीर में सैन्य बेस एप्रन पर काले धब्बे दिखाई दे रहे थे। विश्लेषण करने पर पता चला कि ये तेल के धब्बे या वाहन रखरखाव यार्ड से ईंधन रिसाव थे। यह तस्वीर भी भारत-पाकिस्तान के बीच हुए टकराव से काफी पहले खींची गई थी और इसका किसी हमले से कोई संबंध नहीं था। इसी तरह नलिया एयरबेस और जम्मू के एयरपोर्ट पर हमले का दावा भी झूठा निकला। साइमन ने बताया कि श्रीनगर एयरपोर्ट पर नागरिक एप्रन को दिखाने वाली धुंधली छवि का इस्तेमाल बम से हुए नुकसान का संकेत देने के लिए किया गया। अलग-अलग दिनों में ली गई कई स्पष्ट सेटेलाइट छवियों से साइट में कोई बदलाव नहीं दिखा। पाकिस्तान की ओर से फैलाई जा रही छवि गलत तरीके से पेश की गई थी। इसी तरह पाकिस्तान ने नलिया एयरबेस की एक तस्वीर प्रसारित की, जिसमें रनवे के आसपास की मिट्टी काली होती दिखाई दे रही थी, जो बमबारी का संकेत देती है। हाई-रिजॉल्यूशन हमले के बाद की तस्वीरों की समीक्षा करने पर पुष्टि हुई कि साइट पर कोई हमला नहीं हुआ है। नुकसान की तस्वीर के ऊपर बादल की छाया थी। एयरबेस का बुनियादी ढांचा पूरी तरह से सुरक्षित है।
एस-400 प्रणाली को नहीं पहुंचा नुकसान
एक अन्य दावे में पाकिस्तान ने कहा कि आदमपुर में एस-400 बैटरी को उसने निशाना बनाया था। सेटेलाइट इमेज को बहुत ज्यादा एडिट किया गया था, जिसमें मिसाइल के प्रभाव वाले गड्ढों की नकल करने के लिए काले धब्बे लगाए गए थे। साइमन ने कहा कि मौजूदा सेटेलाइट इमेजरी से तुलना करने पर, उस स्थान पर ऐसे कोई निशान या क्षति दिखाई नहीं दे रही थी। यह जानबूझकर की गई हेराफेरी का एक और उदाहरण था।