केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने वैश्विक पवन दिवस 2025 के अवसर पर रविवार को बेंगलुरु में हितधारकों के एक सम्मेलन को संबोधित किया। जोशी ने कहा कि पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए भारत की रणनीति के केंद्र में है। प्रल्हाद जोशी ने कहा कि वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के लिए भारत को ऊर्जा की अधिक आवश्यकता है, चाहे वह सौर ऊर्जा हो, पवन ऊर्जा हो या ऊर्जा का कोई अन्य स्वरूप हो। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत 225 किलोवाट से लेकर 5.2 मेगावाट तक की क्षमता वाले पवन टर्बाइनों का निर्माण कर रहा है, जिसमें 14 कंपनियों द्वारा 33 मॉडल तैयार किए जा रहे हैं। ये टर्बाइन हमारी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और वैश्विक स्तर पर लागत-प्रतिस्पर्धी भी हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य महत्वाकांक्षी और स्पष्ट हैं: वर्ष 2030 तक हमारी बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से और वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला भारत। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पवन ऊर्जा केंद्रीय है। पवन ऊर्जा हमारी अक्षय ऊर्जा रणनीति का एक घटक नहीं है, लेकिन यह इसके दिल में है और आत्मनिर्भर भारत के केंद्र में है।”
जोशी ने आगे कहा कि भारत में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं क्योंकि इसकी विश्व स्तर पर चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा स्थापित क्षमता है और यह तीसरा सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा उत्पादक है। उन्होंने कहा, “किसी ने नहीं सोचा था कि भारत 10 वर्षों में अक्षय ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा, लेकिन आज यह एक वास्तविकता है।”
केंद्रीय मंत्री ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की क्षमता को उजागर करने के लिए भारत सरकार के समर्पित प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा, “सरकार इस क्षेत्र को पूरी गंभीरता से सहायता प्रदान कर रही है। इस वर्ष अक्षय ऊर्जा बजट में 53 प्रतिशत यानी 26,549 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा पवन ऊर्जा को दिया गया है।”
प्रल्हाद जोशी ने कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग की ओर संक्रमण अपरिहार्य है। राज्यों को इस संक्रमण का नेतृत्व करना चाहिए। भूमि की उपलब्धता और पारेषण में देरी को दूर करना होगा। यह संकोच का समय नहीं है, यह कार्यान्वयन का समय है।” उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय पवन ऊर्जा क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए, हमें एक समन्वित राष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है। इसलिए हम 5 प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं-
- मध्य प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे नए राज्यों में विस्तार करना।
- गुजरात और तमिलनाडु में 4 गीगावाट के लीजिंग क्षेत्रों की पहचान करके अपतटीय क्षेत्र की शुरुआत करना और निविदाएँ तैयार करना
- भंडारण से जुड़े व्यावसायिक मॉडलों के माध्यम से चौबीसों घंटे चलने वाली और दृढ़ हरित ऊर्जा रणनीतियों में पवन ऊर्जा को एकीकृत करना।
- ग्रिड का आधुनिकीकरण करना, परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा के प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई)-आधारित पूर्वानुमान में निवेश करना।
- पूरी पवन ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन देना।
केंद्रीय मंत्री जोशी ने कार्यक्रम में पवन ऊर्जा रूपरेखा और विनिर्माण कार्य योजना पर रिपोर्ट भी जारी की। उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज हमारी आगे की यात्रा के लिए मार्गदर्शक अवसंरचना के रूप में काम करेंगे और भारत में एक मजबूत तथा आत्मनिर्भर पवन ऊर्जा इकोसिस्टम के निर्माण के लिए हमारी सामूहिक महत्वाकांक्षा, रणनीतिक सोच और प्रतिबद्धता को दर्शाएंगे।
उल्लेखनीय है, पवन ऊर्जा के विकास को चिह्नित करने के लिए 15 जून को वैश्विक पवन ऊर्जा दिवस मनाया जाता है।
प्रल्हाद जोशी ने कार्यक्रम में पवन ऊर्जा रूपरेखा और विनिर्माण कार्य योजना पर रिपोर्ट भी जारी की। पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि के मामले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। कर्नाटक 1331.48 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ पहले स्थान पर रहा, उसके बाद तमिलनाडु (1136.37 मेगावाट) और गुजरात (954.76 मेगावाट) का स्थान रहा।