नई दिल्ली। देश के वाहन मालिकों विशेषकर कार मालिकों ने सुरक्षा के लिए फ्रंट एंड बैक डैशकैम महत्वपूर्ण माना है और कंपनियों से इसके अनिवार्य रूप से लगाए जाने की इच्छा व्यक्त की है। सर्वे प्लेटफॉर्म पार्क प्लस रिसर्च लैब्स ने आज अपने नवीनतम शहर-केंद्रित सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष साझा किए। दिल्ली एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में 3,000 कार मालिकों पर किए गए इस सर्वे का उद्देश्य यह समझना था कि आज के कार मालिक नई कारों में किस एक फीचर को अनिवार्य चाहते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 48 प्रतिशत प्रतिभागियों ने उम्मीदों के विपरीत 6 एयरबैग या बीएनसीएपी रेटिंग नहीं बल्कि फ्रंट और बैक डैशकैम को उस सुरक्षा फीचर के रूप में चुना जिसे सरकार और कार निर्माता कंपनियों को अनिवार्य बनाना चाहिए। इस पसंद के पीछे उत्तरदाताओं ने जो कारण बताए, वह भी कम रोचक नहीं है। उनका कहना है कि रोड रेज की बढ़ती घटनाएं, असुरक्षित ड्राइविंग व्यवहार, हिट-एंड-रन केस और बीमा दावाें में पेचीदगियों को देखते हुए आज यह बेहद जरूरी हो गए हैं। आज के शहरी ट्रैफिक माहौल में डैशकैम को सिर्फ एक्सेसरी नहीं, बल्कि सबूत देने वाले साधन के रूप में देखा जा रहा है, जो ड्राइवर को ताकतवर बनाते हैं और जवाबदेही को प्रोत्साहन देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार एयरबैग या क्रैश टेस्ट रेटिंग जैसे कार सेफ्टी फीचर सर्वे में टॉप पर नहीं रहे क्योंकि ग्राहकों ने उन्हें अब मूलभूत आवश्यकता मान लिया है जिस पर वे कोई समझौता नहीं करना चाहते। अब मांग स्मार्ट, टेक-इनेबल्ड फीचरों की है जो रियल टाइम और घटना के बाद की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसमें शामिल 32 प्रतिशत प्रतिभागियों ने भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (बीएनसीएपी) की 5-स्टार रेटिंग को अपनी प्राथमिकता बताया। संरचनात्मक सुरक्षा महत्वपूर्ण मानी जा रही है और अब यह नई कारों में ‘अतिरिक्त’ नहीं बल्कि ‘मूल’ मानक बन चुकी है।
सर्वे में शामिल लोगों में से मात्र 10 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने 6 एयरबैग को चुना और केवल 8 प्रतिशत ने ऑल-व्हील डिस्क ब्रेक्स को ज़रूरी सेफ्टी फीचर बताया। इसका अर्थ है कि लोग मानते हैं कि निर्माता पहले से ही इन्हें दे रहे हैं, अब वे ज़्यादा नियंत्रण और प्रमाण देने वाले फीचर चाहते हैं, जिससे डैशकैम जैसे फीचर मुख्य आवश्यकता बन गए हैं।