प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में देश में महिला सशक्तिकरण को नई दिशा और रफ्तार मिली है। अब महिलाएं केवल योजनाओं की लाभार्थी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भागीदार बन चुकी हैं। “नारी शक्ति” अब केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय अभियान बन गया है, जो महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक, आवास, स्वच्छता और वित्तीय सहायता के जरिए गरिमा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है। चूंकि भारत की लगभग 67.7% जनसंख्या महिलाएं और बच्चे हैं, इसलिए उनका सशक्तिकरण अब सामाजिक सुधार नहीं, बल्कि विकास की रणनीति बन गया है।
महिला सशक्तिकरण को समर्थन देने के लिए सरकार ने जीवनचक्र आधारित नीति अपनाई है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘मिशन शक्ति’, और ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ जैसी योजनाओं से महिलाओं को शिक्षा, हुनर, रोजगार और नेतृत्व के अवसर मिले हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और कृषि सहायता योजनाओं ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक मजबूती दी है। आज महिलाएं पंचायतों से लेकर सेना और अंतरिक्ष अनुसंधान तक हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं।
वहीं स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार हुए हैं। मिशन पोषण 2.0 को 1.81 लाख करोड़ रुपये की लागत से लागू किया गया है, जिसके तहत अब तक 24,533 आंगनवाड़ी केंद्र “सक्षम आंगनवाड़ी” में बदले जा चुके हैं और 4.65 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है।”पोषण ट्रैकर” ऐप को ई-गवर्नेंस गोल्ड अवॉर्ड और प्रधानमंत्री पुरस्कार मिला है। सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान में 1000 पंचायतों को चुना गया है। वहीं जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) से अब तक 16.6 करोड़ महिलाओं को लाभ मिला है, जबकि जननी सुरक्षा योजना (JSY) से 11.07 करोड़ महिलाओं को सहायता मिली है और सुमन योजना के तहत 90,015 स्वास्थ्य केंद्र अधिसूचित किए गए हैं। पीएम मातृत्व वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को 5,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है।
महिलाओं को गरिमा और सुविधा देने में भी कई योजनाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G) के तहत बने 2.75 करोड़ घरों में से 73% घर महिलाओं के नाम पर हैं। उज्ज्वला योजना के माध्यम से 10.33 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ है जिससे महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में वृद्धि हुई है। जल जीवन मिशन के तहत 2019 में केवल 3.23 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन था जो अब बढ़कर 15.6 करोड़ हो गया है।
शिक्षा और डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना ने जन्म अनुपात को 918 (2014-15) से बढ़ाकर 930 (2023-24) किया है और बालिकाओं का नामांकन दर 75.5% से बढ़कर 78% हो गया है। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 4.2 करोड़ खाते खोले गए हैं, जिससे बच्चियों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। महिलाएं अब सेना, पुलिस और नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) तक में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। चंद्रयान-3 मिशन में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका अहम रही है। भारत अब दुनिया में सबसे अधिक महिला पायलटों वाला देश बन गया है और STEM क्षेत्र में महिला स्नातकों की संख्या सबसे अधिक है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण का प्रावधान शामिल है, जिसे आगामी परिसीमन के बाद प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।
वहीं महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जैसे ट्रिपल तलाक पर रोक, विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष का प्रस्ताव, 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश और जम्मू-कश्मीर में धारा 35A हटाकर महिलाओं को संपत्ति अधिकार देना शामिल है। आर्थिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत ₹33.33 लाख करोड़ के 52.5 करोड़ ऋण खातों में से 68% महिलाओं को मिले हैं। स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत ₹47,704 करोड़ के 2.04 लाख ऋण महिलाओं को दिए गए हैं। NRLM के तहत 10.05 करोड़ महिलाएं 90.9 लाख स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में संगठित हुई हैं। लखपति दीदी योजना के तहत 1.48 करोड़ महिलाएं सालाना ₹1 लाख या उससे अधिक कमा रही हैं।
सुरक्षा और संरक्षण के लिए मिशन शक्ति को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है-संबल और समर्थ्य। संबल: 819 वन स्टॉप सेंटर से अब तक 10.98 लाख महिलाओं को सहायता मिली है। महिला हेल्पलाइन (112) पर 214.78 लाख कॉल आए और 85.32 लाख महिलाओं को मदद मिली। SHe-Box पोर्टल 29 अगस्त 2024 को लॉन्च हुआ। नारी अदालत योजना अब 6 राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में लागू है।
शक्ति सदन योजना से 2.92 लाख महिलाओं को लाभ मिला है। सखी निवास योजना (पूर्व वर्किंग वूमन हॉस्टल) के तहत 5.07 लाख महिलाओं को आवास सहायता मिली है। #अबकोईबहानानहीं अभियान 25 नवंबर 2024 को शुरू किया गया, जो UN Women और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। 2014 से अब तक का सफर केवल महिला कल्याण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाओं को राष्ट्र निर्माण में नेतृत्व की भूमिका देने की दिशा में एक ठोस कदम रहा है। आज की भारतीय महिलाएं वैज्ञानिक, उद्यमी, सैनिक, शिक्षिका और नेता के रूप में भारत की आकांक्षाओं की प्रतीक बन चुकी हैं।