वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में विदेशी मानवीय सहायता (Foreign Humanitarian Aid) में की गई जबरदस्त कटौती ने पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर अमेरिका ने विदेशी सहायता में मौजूदा स्तर की कटौती जारी रखी, तो साल 2030 तक दुनियाभर में 1.4 करोड़ अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं।
हर साल लाखों बच्चों की जान पर संकट
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस अनुमानित मौतों में से करीब 45 लाख मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की हो सकती हैं। यानी हर साल औसतन 7 लाख मासूमों की जान जा सकती है – वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत ने अपना मानवीय समर्थन पीछे खींच लिया है।
USAID की योजनाएं 80% तक रद्द, सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की विकास सहायता एजेंसी USAID की 80% से अधिक योजनाएं रद्द कर दी हैं, जिससे अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के गरीब व मध्यम आय वर्ग के देशों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस कटौती की पुष्टि की थी।
रिपोर्ट की बड़ी चेतावनी
The Lancet की रिपोर्ट के सह-लेखक और ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. डेविड रासेला ने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर सहायता में कटौती का असर किसी महामारी या युद्ध जैसा विनाशकारी हो सकता है। इससे दो दशकों की प्रगति एक झटके में रुक सकती है।”
भूख और कुपोषण से हाहाकार
कटौती का सीधा असर उन देशों पर पड़ा है, जहां पहले से ही संसाधनों की भारी कमी है। केन्या के काकुमा शरणार्थी कैंप में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बच्चे भूख से तड़प रहे हैं। एक रिपोर्ट में एक बच्ची का ज़िक्र किया गया है जिसकी हालत इतनी गंभीर थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थी, और उसकी त्वचा गिरने लगी थी।
UN की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी ट्रंप प्रशासन की इस नीति को लेकर गहरी चिंता जताई है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति एक "गंभीर मानवीय आपदा" जैसी है, जिसमें लाखों लोगों की जानें जोखिम में हैं।