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Nuclear Fission: परमाणु बम का बाप हाइड्रोजन बम मिनटों में बना सकता है धरती को श्मशान, जानें किन देशों के पास है ये खुंखार हथियार

16 मई, 2025 05:07 PM

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा हथियार भी हो सकता है जो महज चंद सेकंड में किसी महानगर को धूल में मिला दे? जिस विस्फोट की चमक सूरज जैसी हो और जिसकी गर्मी इंसानी कल्पना से परे हो? जी हां, हम बात कर रहे हैं हाइड्रोजन बम यानी थर्मोन्यूक्लियर बम की — जिसे मानवता ने अब तक का सबसे घातक हथियार बनाया है।

यह साधारण परमाणु बम से कहीं अधिक ताकतवर होता है। जितना नुकसान परमाणु बम एक शहर में करता है, उतना हाइड्रोजन बम कई शहरों और आसपास के इलाकों में कर सकता है। इस विस्फोट की ताकत इतनी होती है कि यह पर्यावरण, इंसानी जीवन और आने वाली पीढ़ियों तक असर छोड़ जाता है।

 फिशन बनाम फ्यूजन: किसमें है असली धमाका?

  • परमाणु बम की नींव न्यूक्लियर फिशन पर टिकी होती है, जिसमें भारी तत्व जैसे यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 टूटते हैं। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम इसी तकनीक पर आधारित थे, जिनकी क्षमता क्रमशः 15 और 21 किलोटन थी।

     
    • हाइड्रोजन बम न्यूक्लियर फ्यूजन की ताकत से चलता है। इसमें ड्यूटेरियम और ट्रिटियम जैसे हाइड्रोजन के आइसोटोप मिलकर हीलियम बनाते हैं और इसी प्रक्रिया में निकलती है इतनी भयंकर ऊर्जा कि सूरज की तरह चमक उठती है धरती।

    1961 में रूस द्वारा परीक्षण किया गया 'त्सार बोम्बा' दुनिया का सबसे शक्तिशाली बम था – 50 मेगाटन, यानी हिरोशिमा से 3,000 गुना ज्यादा घातक।

    कैसे काम करता है हाइड्रोजन बम?

    हाइड्रोजन बम दो चरणों में तबाही मचाता है:

    1. पहला चरण (फिशन): एक छोटा परमाणु बम फटता है, जो लाखों डिग्री सेल्सियस तापमान और उच्च दाब पैदा करता है।

    2. दूसरा चरण (फ्यूजन): इस ऊष्मा से ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का मेल होता है और भीषण फ्यूजन रिएक्शन होता है, जिससे बम की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

    इसमें लिथियम ड्यूटेराइड का भी उपयोग होता है, जो ट्रिटियम बनाकर फ्यूजन प्रक्रिया को और तीव्र करता है।

    रेडिएशन का कहर: सिर्फ विस्फोट नहीं, वर्षों तक असर

    1. तत्काल विकिरण: विस्फोट के तुरंत बाद गामा किरणें और न्यूट्रॉन पूरे क्षेत्र को जला सकते हैं।

    2. रेडियोधर्मी फॉलआउट: हवा और बारिश के जरिए सैकड़ों किमी तक फैलते हैं ये ज़हरीले कण।

    3. दीर्घकालिक प्रभाव: ये कण मिट्टी, पानी और हवा को सालों तक जहरीला बना देते हैं — जिससे कैंसर, अनुवांशिक बीमारियां और पारिस्थितिक तबाही होती है।

     1954 का ‘कैसल ब्रावो’ टेस्ट इसका उदाहरण है, जिसकी वजह से मार्शल द्वीप समूह दशकों तक प्रभावित रहा।

    किसके पास है ये 'अल्टीमेट विनाश' की ताकत?

    देश

    परीक्षण वर्ष

    अनुमानित हथियार

    रूस

    1955 (Tsar Bomba 1961)

    4,380

    अमेरिका

    1952 ('Ivy Mike')

    3,708

    चीन

    1967

    500

    यूके

    1957

    225

    फ्रांस

    1968

    290

    भारत

    1998 (पोखरण-II में दावा)

    172 (हाइड्रोजन बम की पुष्टि नहीं)

    पाकिस्तान

    -

    170

    उत्तर कोरिया

    2017 (टेस्ट का दावा)

    50

    इज़राइल

    गुप्त

    90 अनुमानित

     अगर फटे हाइड्रोजन बम, तो क्या हो?

    1. तत्काल विनाश: 50 मेगाटन का बम 25-30 किमी तक हर चीज को मिटा सकता है।

    2. हीट वेव: 100 किमी तक जलन और आग फैला सकती है।

    3. रेडियोधर्मी फॉलआउट: खाद्य, जल स्रोत और स्वास्थ्य सब प्रभावित होते हैं।

    4. पर्यावरणीय तबाही: ओजोन परत को नुकसान, जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा।

    5. मानव हानि: एक ही विस्फोट लाखों लोगों की जान ले सकता है और कई पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है।

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