तेहरान; इजरायल और ईरान के बीच छिड़ा संघर्ष अब अपने सबसे खतरनाक दौर में प्रवेश कर चुका है। गुरुवार को इजरायली वायु सेना ने ईरान के अराक के पास स्थित एक निष्क्रिय न्यूक्लियर रिएक्टर पर बड़ा हवाई हमला किया। इस ऑपरेशन में 40 फाइटर जेट्स का इस्तेमाल हुआ। उधर, जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इजरायल के कई शहरों पर ताबड़तोड़ 30 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से जिनमें सात मिसाइलें तेल अवीव, बीरशेवा, रमत गण और होलोन पर गिरीं और भारी तबाही मचाई। तेल अवीव स्थित इजराइली स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग और बीरशेवा में स्थित इजरायल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सोरोका को भारी नुकसान पहुंचा। इन हमलों में 176 लोग घायल हुए हैं। छह लोगों की हालत गंभीर है।
इस हमले के लिए ईरान ने अपनी सबसे खतरनाक बैलिस्टिक मिसाइल सेजिल-2 का इस्तेमाल किया, जो मल्टिपल वारहैड के साथ अचूक मारक क्षमता से लैस है। यह ईरान के सबसे सटीक और शक्तिशाली रणनीतिक हथियारों में से एक है। इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे ‘तेहरान के तानाशाह की कायरतापूर्ण करतूत’ बताया है और कहा है कि ईरान को इसकी ‘पूरी कीमत चुकानी होगी’। खामनेई को जीने को कोई हक नहीं है। रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने बयान जारी कर बताया कि प्रधानमंत्री और उन्होंने मिलकर इजरायली सेना को ईरान में रणनीतिक और सरकारी ठिकानों पर हमले और तेज करने का आदेश दे दिया है। ये हमले सीधे अयातुल्ला खामनेई के शासन को अस्थिर करने के लिए किए जा रहे हैं। इसी बीच, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने गुरुवार को कहा कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है, इसका कोई सबूत नहीं मिला है। आईएईए के डायरेक्टर राफेल ग्रॉसी ने अल-जजीरा को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। गौर हो कि इजरायल ने यही कहकर हमला किया था कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब है और वह इजरायल के लिए खतरा है। अब आईएईए के खुलासे से विश्व बिरादरी में इजरायल के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।
इसी बीच गुरुवार को रूस और चीन ने इजरायल को दो टूक शब्दों में ईरान पर हमले रोकने को कहा है। रूस ने ईरान और इजरायल जंग में अमरीका की दखलअंदाजी को लेकर चेतावनी दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि अगर अमरीका, ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में दखल देता है, तो इससे हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं और तनाव खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है। इसी बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बड़ा बयान सामने आया है। जिनपिंग ने दो टूक कहा है कि मिडिल ईस्ट में संघर्ष को सुलझाने के लिए सबसे जरूरी जरूरी प्राथमिकता युद्धविराम है और अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने का तरीका बल प्रयोग नहीं हो सकता।