मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त और टिकाऊ तरलता सुनिश्चित करने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चरणबद्ध तरीके से एक प्रतिशत तक की कटौती करने के निर्णय से तंत्र में ढ़ाई लाख करोड़ रुपए की तरलता बढ़ेगी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 55वीं और चालू वित्त वर्ष में एमपीसी की दूसरी तीन दिवसीय द्विमासिक बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए शुक्रवार को बताया कि सीआरआर को चरणबद्ध तरीके से 100 आधार अंकों तक कम करने का निर्णय लिया है।
यह कटौती चार किस्तों में 25-25 आधार अंकों की होगी, जो 06 सितंबर, 04 अक्टूबर, 01 नवंबर और 29 नवंबर 2025 से शुरू होने वाले पखवाड़ों से प्रभावी होगी। इसके बाद सीआरआर शुद्ध मांग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के वर्तमान स्तर से घटकर तीन प्रतिशत पर आ जाएगा। श्री मल्होत्रा ने कहा कि इस निर्णय से दिसंबर 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ की प्राथमिक तरलता जारी होगी। यह कदम न केवल तरलता में स्थायित्व लाएगा बल्कि बैंकों की फंडिंग लागत को भी कम करेगा, जिससे ऋण वितरण और मौद्रिक नीति के प्रभावी संचरण को बल मिलेगा। रिजर्व बैंक गवर्नर ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय बैंक तरलता और वित्तीय बाजार की परिस्थितियों पर सतत नजर बनाए रखेगा और जरूरत पडऩे पर आगे के आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि इस नीति के पीछे का उद्देश्य प्रणाली में दीर्घकालिक तरलता प्रदान करते हुए आर्थिक गतिविधियों को सुगम बनाना और क्रेडिट प्रवाह को प्रोत्साहित करना है।