सिरसा,(सतीश बंसल)। अतिरिक्त उपायुक्त वीरेंद्र सहरावत की अध्यक्षता में मंगलवार को स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में पोक्सो व बाल श्रम रोकने को लेकर समीक्षा बैठक की गई। बैठक में हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य अनिल कुमार व श्याम शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने जिला स्तर पर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली।
अतिरिक्त उपायुक्त वीरेंद्र सहरावत ने बैठक में कहा कि बालश्रम रोकने के लिए सभी विभागों को मिलकर सामजस्य के साथ काम करना होगा। बच्चे के अधिकारों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेवारी है। बैठक में डीएसपी विकास कृष्ण, डीएसपी डबवाली रमेश कुमार, डीएसपी कपिल, महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक डा. दर्शना सिंह, बाल संरक्षण समिति की चेयरपर्सन अनिता वर्मा, जिला बाल कल्याण अधिकारी पूनम नागपाल, उप जिला शिक्षा अधिकारी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व प्रत्येक थाना से पोक्सो एक्ट के लिए नियुक्त अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में आयोग के सदस्य अनिल कुमार ने कहा कि बाल श्रम रोकने के लिए केंद्र की ओर से जो पॉलिसी लागू की गई थी, उसकी एसओपी है और उसी अनुरूप कार्य करना है। एसओपी में सभी की जवाबदेही तय हो चुकी है, इसलिए सभी उसी अनुरूप काम करें। उन्होंने कहा कि बाल श्रम की स्थिति में सहायक श्रम कमिशनर एफआईआर करवाएंगे। आयोग सदस्यों ने कहा कि रेड की जानकारी उपायुक्त को होनी चाहिए और रेड के मामले में तकनीकी पहलुओं पर चर्चा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से भी करनी चाहिए। उन्होंने पुलिस को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में संबंधित विभाग की मदद करें और एफआईआर में देरी न हो ताकि बालश्रम में पकड़े गए बच्चे की शिक्षा व आर्थिक पहलुओं पर कोई दिक्कत न आए।
आयोग के सदस्यों ने बैठक में कहा कि संबंधित विभाग हॉट स्पॉट एरिया चिन्हित करें, जहां अधिक बालश्रम हो रहा है या बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ मामले ऐसे भी आएं हैं जिसमें भीख मांगने वाले बच्चों के आसपास कोई होता है, जो भीख की राशि बच्चों से लेता रहता है। भीख मंगवाने वाले को भी पकडऩा जरूरी है, क्योंकि वहीं असली गुनहगार है। ऐसे हॉट स्पॉट एरिया का समय-समय पर निरीक्षण किया जाए। उन्होंने कहा कि बाल श्रम के मामले में पकड़े गए बच्चों के पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
पोक्सो एक्ट से जुड़े पुलिस अधिकारियों से रूबरू होते समय आयोग के सदस्यों ने कहा कि जरूरत न हो तो, स्कूलों व दूसरे स्थानों पर जहां बच्चे की आवाजाही है, उस कमरे में पर्दे नहीं होने चाहिए। जांच अधिकारियों से उन्होंने यह भी कहा कि यदि बच्चे को रात के समय कहीं रखना भी पड़ जाए तो, उसे वन स्टॉप सेंटर में भी रखा जा सकता है, लेकिन उसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी होनी चाहिए। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि गुमशुदगी के मामले में यदि बरामदगी के बाद पोक्सो एक्ट लगता है तो इसकी सूचना बाल संरक्षण समिति को दी जानी चाहिए ताकि आंकड़े मिसमैच न हो। उन्होंने पुलिस से थाना वाइज पिछले छह माह में पोक्सो एक्ट की शिकायतें, एफआईआर और जिनमें एफआईआर नहीं हुई उसका कारण तथा जिन मामलों में सजा हुई उसकी जानकारी आयोग को भेजने को कहा।
आयोग के सदस्यों ने बताया कि जब भी कैब सर्विस एप के माध्यम से बुकिंग करवाते हैं तो उसमें एक विकल्प आता है और यदि हम उसमें नंबर फीड कर दें तो उसकी मॉनेटरिंग भी की जा सकती है। कुछ कैब सर्विस ने इस मामले में काम किया है और गाड़ी का ट्रेक करना आसान है। उन्होंने कहा कि महिला या बच्चों को कहीं पर परेशानी आती है, तो वह 112 डायल कर पुलिस की मदद ले सकते हैं। कुछ मामलों में पुलिस ने महिलाओं व बच्चों को गंत्वय तक भी पहुंचाया है।