जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की 10वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने मंत्रालय की तैयारियों का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। योग के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य का मार्ग है।
योग दिवस समारोह चल रहे राष्ट्रव्यापी जागरुकता और लाभ संतृप्ति अभियान, धरती आबा जनभागीदारी अभियान के एक प्रमुख घटक के रूप में आयोजित किए जा रहे है। ये प्रयास धरती आबा जनभागीदारी अभियान- मंत्रालय का एक आईईसी अभियान है, जो 15 से 30 जून, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। वहीं, समारोहों के हिस्से के रूप में 477 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के लगभग 1.4 लाख छात्रों और 10 लाख से अधिक जनजातीय नागरिकों के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की 10वीं वर्षगांठ के दौरान आगामी योग सत्रों और संबंधित गतिविधियों में भाग लेने की उम्मीद है।
जुएल ओराम ने कल सोमवार को बैठक के दौरान, 21 जून 2025 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समावेशी और सामुदायिक नेतृत्व वाले समारोहों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार आदिवासी क्षेत्रों में यह समारोह स्वदेशी कल्याण प्रथाओं और आधुनिक योग के अनूठे संगम को उजागर करेगा।
ओराम ने जमीनी स्तर पर योग प्रदर्शनों, कल्याण सत्रों और जागरूकता कार्यक्रम के जरीए आदिवासी समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समुदाय, प्रकृति और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से अपने गहरे संबंध के साथ, इस सामंजस्य का प्रतीक हैं। जुएल ओराम ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस वर्ष का योग दिवस आधुनिक और स्वदेशी दोनों कल्याण प्रणालियों का उत्सव बने।
इस दौरान, ओराम ने आयुष मंत्रालय, राज्य जनजातीय कल्याण विभागों, जनजातीय शोध संस्थानों, ईएमआरएस, आश्रम विद्यालयों, ट्राइफेड, एनएसटीएफडीसी और अन्य हितधारकों के साथ प्रभावी तालमेल का भी आह्वान किया, ताकि योग दिवस समारोहों की सफलता सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने इस आयोजन के लिए अंतिम छोर तक संचार और जनलामबंदी सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, सामुदायिक रेडियो और स्थानीय आदिवासी भाषाओं का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया।