देशभर में मानसून के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर जलभराव की समस्या से निपटने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने एक 15 दिन की विशेष निगरानी अभियान की शुरुआत की है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बारिश के दौरान यातायात सुचारू और सुरक्षित बना रहे। इस अभियान के तहत NHAI के अधिकारी, ठेकेदार और सलाहकार राजमार्गों के उन हिस्सों का निरीक्षण कर रहे हैं, जहां पर भूस्खलन या जलभराव की चपेट में आने की संभावना ज्यादा है।
इस दौरान पुलों, नालों और जल निकासी संरचनाओं की सफाई और मरम्मत की जा रही है, ताकि पानी का बहाव सुगमता से हो सके। NHAI की ओर से रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं को साफ और डी-सिल्ट किया जा रहा है। साथ ही, ड्रेनेज सिस्टम की मरम्मत, स्लिप रोड्स और मुख्य सड़कों के गड्ढों की भराई, आरई वॉल (Retaining Walls) के ड्रेनेज छिद्रों की सफाई, और अन्य जरूरी मरम्मत कार्य किए जा रहे हैं। वहीं प्राधिकरण ने आपातकालीन सामग्री जैसे खुदाई मशीनें, रेत की बोरियां और साइन बोर्ड जलभराव संभावित क्षेत्रों में पहले से तैनात कर दिए हैं। इसके अलावा, 24×7 आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमें तैयार की गई हैं जो जरूरत पड़ने पर राहत और मरम्मत का काम शुरू कर देंगी।
NHAI स्थानीय प्रशासन और निर्माण एजेंसियों के साथ समन्वय में काम कर रही है ताकि भूस्खलन या बाढ़ की पूर्व चेतावनियों पर तत्काल प्रतिक्रिया दी जा सके। प्राधिकरण ने तेज राहत के लिए फील्ड ऑफिसों में क्विक रिस्पॉन्स टीमें भी बना दी हैं, जो संवेदनशील स्थानों पर बारीकी से नजर रखेंगी। तकनीकी उपायों के तहत, AI आधारित इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और NHAI का ‘राजमार्ग यात्रा ऐप’ तथा IMD का ‘मेघदूत ऐप’ के जरिए यात्रियों को रियल-टाइम मौसम और ट्रैफिक अलर्ट भेजे जाएंगे। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करके सड़कों की ढाल, दरारें और अन्य संरचनात्मक समस्याओं की पहचान और सुधार किया जा रहा है। NHAI का कहना है कि मानसून के दौरान ये सभी कदम यात्रियों को सुरक्षित, सुविधाजनक और बिना बाधा के यात्रा अनुभव देने में मदद करेंगे।