नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के मदुरै में विस्तारा रेजीडेंसी अपार्टमेंट परिसर में कथित तौर पर बिना अनुमति के बनाये गये मंदिर को तोडऩे पर शुक्रवार को रोक लगा दी और मदुरै निगम को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने विस्तारा वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
एसोसिएशन की याचिका में मंदिर को गिराने का निर्देश देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के हाल के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिए बिना या उनके जवाब दाखिल करने का अवसर दिए बिना ही मंदिर को गिराने का आदेश पारित कर दिया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने बयान दिया है कि न तो याचिकाकर्ता और न ही रिट याचिका में प्रतिवादियों को सुना गया। वास्तव में उन्हें दलीलें दाखिल करने का कोई अवसर नहीं दिया गया। इस बीच उच्च न्यायालय ने मंदिर को गिराने का निर्देश दिया है।
अदालत ने शिकायत पर गौर करते हुए नोटिस जारी किया और जवाब के लिए आठ सप्ताह का समय दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि इस बीच, मंदिर को गिराने पर रोक रहेगी। विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का फैसला इस निष्कर्ष पर आधारित था कि अपार्टमेंट मालिकों का संघ ओएसआर भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए कोई वैध अनुमति या लाइसेंस प्रस्तुत नहीं कर सका। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने मदुरै निगम को चार सप्ताह के भीतर मंदिर को गिराने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि भूमि तमिलनाडु नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम, 1971 के अनुसार संरक्षित रहे।