वाशिंगटन: अमरीका ने आखिरकार यूक्रेन के साथ एक क्रिटिकल मिनरल डील पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच फरवरी में हुई तीखी बहस के दो महीने बाद यह मिनरल डील पूरी हुई है। अमरीका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ जंग में 350 बिलियन डॉलर की मदद की है। इसके बदले में उसने यूक्रेन से दुर्लभ खनिज देने की मांग की थी। दोनों देशों के बीच यूक्रेन के खनिजों और रेयर अर्थ मेटल्स की भविष्य की बिक्री से होने वाली राजस्व की कमाई को आपस में बांटने के लिए यह समझौता किया गया है। इस डील पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले दो महीनों से जोर दे रहे थे और उनका यह दावा है कि प्राकृतिक संसाधनों को शेयर करने पर एक समझौते पर मुहर लगाने से अमरीका को आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा, इससे वह रूस के साथ भविष्य के शांति समझौते के बाद यूक्रेन की रक्षा कर पाएगा और उसके पुनर्निर्माण में निवेश जारी रख पाएगा।
अमरीका के ट्रेजरी सेक्रेटरी (वित्त मंत्री) स्कॉट बेसेंट और यूक्रेन की प्रथम उपप्रधानमंत्री यूलिया स्विरिडेंको ने इस डील पर साइन किया है, जिसका आधिकारिक नाम प्राकृतिक संसाधन समझौते (नेचुरल रिसोर्स डील) है। इस डील के तहत अमरीका को यूक्रेन के नए मिनरल (खनिज) प्रोजेक्ट्स में खास एक्सेस मिलेगा। इसके बदले में अमरीका यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करेगा। इस डील के तहत यूक्रेन के रिडेवेलपमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड बनाया जाएगा। इसके अलावा ट्रंप सरकार ने इस डील के बारे में ज्यादा डिटेल्स तुरंत जारी नहीं की हैं, और ये भी साफ नहीं है कि इसका अमरीका की सैन्य मदद पर क्या असर पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, फाइनल डील में अमरीका की तरफ से किसी तरह की सिक्योरिटी मदद की कोई पक्की गारंटी नहीं दी गई है। यूक्रेन के इकोनॉमी मिनिस्ट्री ने कहा है कि अमरीका इस फंड में सीधे या फिर मिलिट्री मदद के जरिए योगदान देगा, जबकि यूक्रेन इस फंड में अपने नेचुरल रिसोर्सेज के इस्तेमाल से होने वाली कमाई का 50 फीसदी हिस्सा डालेगा।