राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है। 1 जुलाई 2025 से दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा। यह फैसला सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रहेगा—पूरे एनसीआर में भी इसकी धमक सुनाई देने लगी है। CAQM (Commission for Air Quality Management) के अनुसार, अकेले दिल्ली में करीब 62 लाख वाहन तय उम्र सीमा पार कर चुके हैं, जिनमें 41 लाख दोपहिया वाहन हैं। वहीं, पूरे एनसीआर में 44 लाख पुराने वाहन इस नियम की जद में आएंगे। अब दिल्ली के बाहर से आने वाले पुराने वाहनों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है।
नियम का दायरा और कड़ाई से लागू करने की तैयारी
यह नया नियम सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। इस साल नवंबर से गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत जैसे दिल्ली से सटे एनसीआर जिलों में भी इसे लागू किया जाएगा। वहां पर 31 अक्टूबर 2025 तक ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। जबकि बाकी एनसीआर जिलों को 31 मार्च 2026 तक का समय दिया गया है। इन क्षेत्रों में ईंधन प्रतिबंध 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
दिल्ली में पहले ही तैयारी ज़ोरों पर है। राजधानी के 520 में से 500 पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगा दिए गए हैं और बाकी बचे पंपों पर 30 जून 2025 तक कैमरे लगाए जाने की योजना है। ये कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन कर यह पता लगा लेते हैं कि वाहन कितने साल पुराना है। यदि वाहन तय सीमा से ज्यादा पुराना निकला तो उसे फ्यूल नहीं दिया जाएगा।
कितने वाहन होंगे प्रभावित?
CAQM के अनुसार, दिल्ली में ऐसे करीब 62 लाख वाहन हैं जो तय उम्र सीमा पूरी कर चुके हैं, जिनमें से 41 लाख टू-व्हीलर हैं। वहीं पूरे एनसीआर क्षेत्र में ऐसे पुराने वाहनों की संख्या 44 लाख बताई जा रही है। इतना ही नहीं, दिल्ली के बाहर से आने वाले पुराने वाहनों पर भी सख्ती की जाएगी।
क्या होगी सज़ा नियम तोड़ने पर?
पुराने वाहनों में चोरी-छिपे फ्यूल डलवाने की कोशिश करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे वाहनों की पहचान के बाद उन्हें जब्त भी किया जा सकता है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य न केवल वायु गुणवत्ता सुधारना है, बल्कि बढ़ते प्रदूषण पर काबू पाकर दिल्ली को एक स्वच्छ और सुरक्षित शहर बनाना भी है।
नज़र में क्या है अगला कदम?
इस सख्ती के बाद आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का कितना असर होता है और क्या वाकई इससे दिल्ली की हवा सांस लेने लायक बनती है। सरकार की नजर अब निजी वाहनों के साथ-साथ कमर्शियल वाहनों की ओर भी जा सकती है।