Tuesday, December 09, 2025
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राष्ट्रीय

कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे पर झुकी, इसलिए भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

08 दिसंबर, 2025 07:45 PM

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए गए। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे पर झुकी, इसलिए उसे एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा।'' मोदी ने सदन में ‘‘राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर चर्चा'' की शुरुआत करते हुए 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का हवाला दिया और कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था।

उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘जब आजादी को कुचलने की कोशिश हुई, संविधान की पीठ पर छुरा घोंप दिया गया और देश पर आपातकाल थोप दिया गया, तब इसी वंदे मातरम ने देश को खड़ा कर दिया।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम् के विरोध का नारा बुंलद किया तो तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखा और उसमें जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए कहा कि ‘‘वंदे मातरम की आनंद मठ की पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरिटेट कर सकती है।''

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया और इसके टुकड़े कर दिए और इसके लिए सामाजिक सद्भाव का हवाला दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वंदे मातरम के टुकड़े करने के फैसले में नकाब यह पहना गया कि यह तो सामाजिक सद्भाव का काम है। लेकिन, इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और मुस्लिम लीग के दबाव में यह किया गया। यह कांग्रेस का तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का एक तरीका था।'' मोदी ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां आज वैसी की वैसी ही हैं और आज आईएनसी चलते-चलते एमएमसी हो गया है।''

प्रधानमंत्री ने गत 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजग की जीत के बाद अपने भाषण में कांग्रेस के लिए एमएमसी (मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस) शब्द का इस्तेमाल किया था। मोदी ने कहा, ‘‘वंदे मातरम्, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था। सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। यह आजादी की लड़ाई थी, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी।''

उनका कहना था, ‘‘अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद भारत में लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। जिस प्रकार के सपने लेकर वे आए थे, उन्हें यह साफ दिखने लगा कि जब तक भारत को बांटा नहीं जाएगा, लोगों को आपस में लड़ाया नहीं जाएगा, तब तक यहां राज करना कठिन है। तब अंग्रेज़ों ने ‘बांटो और राज करो' का रास्ता चुना, और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया।'' मोदी ने कहा, ‘‘जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश की आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है।

हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए थे, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था।''

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘जिस वंदे मातरम् गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।'' मोदी ने सदन में उपस्थित सदस्यों से कहा, ‘‘हम लोगों पर तो कर्ज है वंदे मातरम का। उसी ने यहां (संसद में) पहुंचाने का रास्ता बनाया। अब हम आत्मनिर्भर भारत का सपना लेकर चल रहे हैं और वंदे मातरम हमारी प्रेरणा है।

स्वदेशी आंदोलन की भावना आज भी मौजूद है और वंदे मातरम हमें जोड़ता है।'' उन्होंने कहा कि आजादी से पहले महापुरुषों का सपना स्वतंत्र भारत का था और आज की पीढ़ी का सपना समृद्ध भारत का है। मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् की इस यात्रा की शुरुआत बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में बंगाल की धरती से की थी। उन्होंने कहा कि यह गीत ऐसे समय लिखा गया था, जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा सपना है कि 2047 में देश विकसित भारत बनकर रहे। अगर आजादी के 50 साल पहले कोई देश की आजादी का सपना देख सकता था तो 25 साल पहले हम भी समृद्ध, विकसित भारत का सपना देख सकते हैं।'' 

 

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