प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि राज्य हिंसा, भ्रष्टाचार और अराजकता से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि लोग अब इस निर्मम सरकार से छुटकारा चाहते हैं। मोदी ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद और मालदा में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं आम नागरिकों की पीड़ा के प्रति तृणमूल कांग्रेस शासन की ‘‘क्रूरता और उदासीनता'' की याद दिलाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज पश्चिम बंगाल कई संकटों से जूझ रहा है। लोग निर्मम सरकार नहीं चाहते। वे बदलाव और सुशासन चाहते हैं। इसलिए पूरा बंगाल कह रहा है कि उन्हें अब क्रूरता और भ्रष्टाचार नहीं चाहिए।''
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य में पहला संकट व्यापक हिंसा और अराजकता है जो समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रहा है। दूसरा, माताओं और बहनों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है, जो उनके खिलाफ किए गए भयानक अपराधों से और भी बढ़ गई है।'' मोदी ने कहा कि बंगाल में तीसरा संकट बढ़ती बेरोजगारी और अवसरों की कमी से युवाओं में बढ़ती निराशा है जबकि चौथा संकट ‘‘व्यापक भ्रष्टाचार'' है जो व्यवस्था में जनता के विश्वास को खत्म कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पांचवां संकट सत्तारूढ़ पार्टी की स्वार्थपूर्ण राजनीति से उपजा है, जिससे गरीबों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है। मुर्शिदाबाद और मालदा की घटनाएं तृणमूल कांग्रेस सरकार की क्रूरता और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में उसकी विफलता के स्पष्ट उदाहरण हैं।'' पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर निशाना साधते हुए मोदी ने तृणमूल कांग्रेस पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के माध्यम से ‘‘हजारों शिक्षकों और उनके परिवारों का भविष्य बर्बाद करने'' का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ कुछ हजार शिक्षकों की बर्बादी नहीं है, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था बिगड़ रही है। अब भी तृणमूल कांग्रेस अपनी गलतियों को स्वीकार करने से इनकार कर रही है। इसके बजाय वे अदालतों और न्यायिक प्रणाली को दोष दे रहे हैं।'' मोदी ने कहा कि बंगाल के युवा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार इस भ्रष्टाचार का खामियाजा भुगत रहे हैं और राज्य के लोगों का अब तृणमूल कांग्रेस की सरकार से भरोसा उठ गया है। प्रधानमंत्री ने हाल में नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार की अनुपस्थिति को लेकर भी निराशा व्यक्त की तथा आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की रुचि विकास से अधिक राजनीति में है।