भारतीय चीनी उद्योग के लिए अच्छी खबर है! 2026 के चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में भारत का कुल चीनी उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़कर लगभग 35 मिलियन टन तक पहुँचने की संभावना है। यह अनुमान औसत से ऊपर मानसून के कारण गन्ने की बुवाई और उपज में हुई बढ़ोतरी पर आधारित है खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में।
घरेलू आपूर्ति में सुधार और निर्यात की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार चीनी उत्पादन में यह वृद्धि घरेलू आपूर्ति की तंग स्थिति को कम करने में महत्वपूर्ण मदद करेगी। इसके साथ ही यदि सरकार की ओर से उचित नीतिगत समर्थन मिलता है तो चीनी के निर्यात में भी सुधार संभव है। यह देश के चीनी किसानों और मिलों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
चीनी मिलों के मार्जिन में सुधार, क्रेडिट प्रोफाइल होगा मजबूत
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2026 में चीनी मिलों के संचालन मार्जिन में 9-9.5 प्रतिशत की रिकवरी का अनुमान है। इससे चीनी उत्पादक कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार होगा, जो पिछले वित्तीय वर्ष में दबाव का सामना कर रही थीं। पिछले दो सत्रों में जहाँ गन्ने का ‘फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस’ (FRP) 11 प्रतिशत बढ़ा वहीं एथनॉल की कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं आया था जिससे मिलों पर कुछ दबाव था। अब उम्मीद है कि यह स्थिति सुधरेगी।
एथनॉल उत्पादन में भी होगी वृद्धि
2026 के चीनी सत्र में एथनॉल के लिए चीनी का डायवर्जन भी बढ़ने की संभावना है। यह 4 मिलियन टन तक पहुँच सकता है जो 2025 में 3.5 मिलियन टन था। इस वृद्धि को उच्च चीनी उत्पादन के साथ-साथ सरकार के महत्वाकांक्षी 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण लक्ष्य से भी समर्थन मिलेगा। सरकार एथनॉल उत्पादन को तेज़ी से नकद प्रवाह (cash flow) उत्पन्न करने के लिए बढ़ावा दे रही है जो किसानों और चीनी मिलों दोनों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन रहा है। यह पर्यावरण के लिहाज़ से भी एक सकारात्मक कदम है क्योंकि एथनॉल एक स्वच्छ ईंधन है।
कुल मिलाकर आने वाला चीनी सत्र भारतीय चीनी उद्योग के लिए एक सकारात्मक तस्वीर पेश कर रहा है जिससे उत्पादन में वृद्धि, मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार और एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।