मुंबई। भारत में समाप्त वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के जारी होने वाले आंकड़े को लेकर निवेशकों की सतर्कता बरतते हुए की गई बिकवाली के दबाव में आज शेयर बाजार गिर गया। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 275.14 अंक की गिरावट लेकर 81,357.88 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 81.55 अंक टूटकर 24,752.05 अंक पर रहा। कारोबार की शुरुआत में सेंसेक्स 167 अंक लुढक़कर 81,465.69 अंक पर खुला और खबर लिखे जाने तक 81,698.21 अंक के उच्चतम जबकि 81,286.45 अंक के निचले स्तर पर रहा। इसी तरह निफ्टी भी 21 अंक उतरकर 24,812.60 अंक पर खुला और 24,863.95 अंक के उच्चतम, जबकि 24,717.40 अंक के निचले स्तर पर रहा।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, निवेशकों को दो बड़े लेकिन परस्पर विरोधी रुझानों को समझना जरूरी है जो बाजार की दिशा को प्रभावित कर रहे हैं। पहला, भारत के मैक्रोइकोनॉमिक संकेतक जैसे जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटा मजबूत स्थिति में हैं और निरंतर सुधार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर, इन सकारात्मक संकेतकों का सीधा असर अभी तक कॉर्पोरेट आय में परिलक्षित नहीं हो रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में निफ्टी की आय वृद्धि केवल 5.5 प्रतिशत रही जबकि वित्त वर्ष 2026 के लिए यह अनुमान लगभग 10 प्रतिशत है। ऐसे में जब आय वृद्धि दहाई अंकों में नहीं पहुंच रही तब 21 के मूल्यांकन गुणक को ऊंचा माना जा रहा है। यही कारण है कि निफ्टी में तेजी सीमित रह सकती है, जब तक कि कॉर्पोरेट आय में ठोस सुधार देखने को न मिले। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, जिसमें मजबूत जीडीपी वृद्धि, घटती मुद्रास्फीति और ब्याज दरें तथा सुधरता चालू खाता और राजकोषीय घाटा शामिल हैं, मध्यम से दीर्घकाल में बाजार के लिए मजबूत आधारशिला रखती हैं।